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दिल्ली में 100 करोड़ की साइबर ठगी का भंडाफोड़, लुधियाना से 4 मास्टरमाइंड को पकड़ा

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने ₹100 करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी का खुलासा करते हुए एक बड़े अंतरराज्यीय गैंग का पर्दाफाश किया है. पुलिस ने इस गिरोह के चार मास्टरमाइंड्स को पंजाब के लुधियाना से गिरफ्तार किया है. ये आरोपी फर्जी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाकर देशभर में लोगों से करोड़ों की ठगी कर रहे थे. पुलिस को यह केस एक व्यापारी की शिकायत के बाद मिला, जिसे fxprovip.com नाम की फर्जी वेबसाइट के जरिए ₹48.35 लाख का चूना लगाया गया था.

शिकायतकर्ता को पहले फेसबुक मैसेंजर के जरिए एक महिला ने संपर्क किया, फिर बात व्हाट्सएप पर पहुंची और उसे आकर्षक रिटर्न का झांसा देकर इन्वेस्टमेंट के लिए उकसाया गया. इस मामले में 16 जुलाई 2025 को दिल्ली पुलिस की टीम ने लुधियाना से जिन चार आरोपियों को पकड़ा, उनके नाम हैं.

  • सनी मिश्रा
  • कुलदीप कुमार
  • गौरव
  • सुमित प्रधान

सुमित प्रधान एक प्रतिष्ठित निजी बैंक में काम करता था, जो फर्जी अकाउंट खुलवाने और बड़े पैमाने पर नकदी निकालने में मदद करता था.

गरीबों के नाम पर खुलवाते थे खाते, फिर होती थी पैसे की हेरफेर

ये लोग कमजोर आर्थिक स्थिति वाले लोगों के नाम पर बैंक अकाउंट खुलवाते थे, जिन्हें “mule accounts” कहा जाता है. ठगी की रकम इन्हीं खातों में ट्रांसफर की जाती और फिर उसे कैश में निकाल लिया जाता. सनी मिश्रा के खाते में शिकायतकर्ता के ₹6.2 लाख ट्रांसफर हुए.

कुलदीप कुमार के कोटक बैंक अकाउंट में ₹6 लाख “Apex Mart” नाम की शेल कंपनी से आए. गौरव फर्जी अकाउंट्स की व्यवस्था करता और सुमित, जो बैंक में काम करता था, उनका दुरुपयोग कर लेनदेन को वैध दिखाता.

देशभर में फैला नेटवर्क

इस गैंग के खातों से जुड़े 30 से ज्यादा साइबर क्राइम मामलों का पता चला है, जिनमें कुल ठगी ₹100 करोड़ से अधिक की है. एक ही बैंक अकाउंट से जुड़ी 22 शिकायतें अलग-अलग राज्यों कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु और दिल्ली में दर्ज हैं. इनमें 8 केस डिजिटल अरेस्ट स्कैम, 5 फिशिंग और बाकी इन्वेस्टमेंट फ्रॉड से जुड़े हैं.

फर्जी अकाउंट्स और डिजिटल सबूत

अब तक जांच में 23 बैंक अकाउंट्स की पहचान की गई है जो इस गैंग के नेटवर्क से जुड़े हैं. साथ ही आरोपियों के WhatsApp चैट्स से 24 और संदिग्ध अकाउंट्स का पता चला है, जिनकी जांच अभी जारी है. ये सभी खाते कथित तौर पर फर्जी ट्रेडिंग वेबसाइट्स से जुड़े हुए थे और रकम को इधर-उधर घुमाने और निकालने में इस्तेमाल किए जाते थे.

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