पुलिस के हत्थे चढ़ी साइबर ठगी करने वाली बाप-बेटे की जोड़ी, फर्जी बैंक अधिकारी बनकर बेटा करता था कॉल, पिता ATM से निकालता था ठगी का पैसा

झारखंड के जामताड़ा साइबर थाने की पुलिस ने साइबर ठगी करने वाले बाप बेटे की जोड़ी समेत चार जालसाजों को रंगे हाथों पकड़ा है। पुलिस के अनुसार नारायणपुर थाना क्षेत्र के महतोडीह का रहने वाला शेख मुजाहिद हुसैन लोगों को कॉल करके साइबर ठगी की घटना को अंजाम देता था। उसका पिता शमशुद्दीन शेख ठगी के पैसों को अलग-अलग बैंक खातों के जरिए एटीएम से निकासी कर उन्हें खर्च करता था। सभी सदस्यों की गिरफ्तारी नारायणपुर थाना क्षेत्र के मोहनपुर बथानटाड़ जंगल से हुई है।

इनके साथ दबोचा गया आरोपित सलाउद्दीन अंसारी करमाटांड़ थाना क्षेत्र के अमराटांड़ का रहने वाला है। चौथा साथी इम्तियाज फैजी इसी थाना क्षेत्र के फोफनाद गांव का रहने वाला है। सभी आरोपितों के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद जेल भेज दिया गया। बुधवार को प्रेस कान्फ्रेंस में जामताड़ा के एसपी राजकुमार मेहता ने यह जानकारी दी।
फर्जी बैंक अधिकारी बनकर करते थे ठगी
एसपी ने बताया कि यह गिरोह खुद को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का अधिकारी बताकर लोगों को कॉल करता था। ये लोग डेबिट/क्रेडिट कार्ड अपडेट के नाम पर एप डाउनलोड करवाते थे और फिर मोबाइल को हैक कर अकाउंट से पैसे उड़ा लेते थे। ये मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और असम के लोगों को अपना शिकार बनाते थे।
एक जंगल में बैठकर कर रहे थे ठगी
उन्होंने बताया कि आरोपित मोहनपुर गांव के पास एक जंगल में बैठकर ठगी कर रहे थे। आरोपितों के पास से 13 मोबाइल, 28 सिम कार्ड, पांच एटीएम कार्ड, दो पासबुक, एक चेकबुक, एक आधार कार्ड, एक पैन कार्ड व एक वोटर आइडी बरामद किया गया। ये शातिर लोगों को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के क्रेडिट व डेबिट कार्ड में केवाईसी अपडेट कराने की बात कहकर काल करते थे। झांसे में लेने के बाद सारी डिटेल्स ले लेते थे। इन शातिरों के निशाने पर इन दिनों बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश व असम के लोग थे। पुलिस शातिरों के मोबाइल डिटेल्स भी खंगालने में जुटी है।
महतोडीह गांव में पहली बार हुआ साइबर अपराध में गिरफ्तारी
जानकारी के अनुसार, महतोडीह गांव से यह पहली बार है जब किसी व्यक्ति को साइबर ठगी के मामले में गिरफ्तार किया गया है। गांव के लोग भी इस गिरफ्तारी से चकित हैं। आरोपियों के खिलाफ BMS की धारा 111 के तहत केस दर्ज किया गया है, जिसमें संगठित गिरोह बनाकर साइबर अपराध करने का आरोप शामिल है। यह धारा कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान रखती है।