राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस पर रायपुर में हुआ भव्य आयोजन”राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 75 वर्ष” थीम पर हुए विचार-विमर्श, डाटा आधारित नीति निर्माण पर जोर

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ), भारत सरकार, रायपुर द्वारा 19वें सांख्यिकी दिवस के उपलक्ष्य में एक गरिमामय समारोह का आयोजन पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी सभागार में किया गया। यह दिवस प्रसिद्ध सांख्यिकीविद् प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस की जयंती पर मनाया जाता है, जिन्होंने स्वतंत्रता के बाद देश की सामाजिक-आर्थिक योजना एवं नीति निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे डॉ. के. सुब्रमण्यम, सदस्य, राज्य नीति आयोग। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल, कुलपति, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय तथा प्रो. व्यास दुबे, पूर्व विभागाध्यक्ष, सांख्यिकी अध्ययनशाला एवं सदस्य, निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग, रायपुर उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता श्री अल्ताफ हुसैन हाजी, उपमहानिदेशक, एनएसओ, रायपुर ने की।
इस अवसर पर श्री एन. बुलीवाल, अतिरिक्त संचालक, आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय, छत्तीसगढ़ शासन, प्रो. निनाद बोधंकर, अध्यक्ष, सांख्यिकी अध्ययनशाला, प्रो. धर्मेंद्र कुमार गंगेश्वर और प्रो. प्रदीप चौरसिया भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। श्री आर.के. श्रीवास्तव, वरिष्ठ सांख्यिकीय अधिकारी, एनएसओ रायपुर ने अतिथियों का स्वागत किया।
इस वर्ष सांख्यिकी दिवस की थीम “राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण के 75 वर्ष” रखी गई थी, जिसका उद्देश्य डाटा की महत्ता, नीति निर्माण में आंकड़ों की भूमिका और युवा पीढ़ी में सांख्यिकी के प्रति जागरूकता बढ़ाना रहा।
अपने संबोधन में श्री अल्ताफ हुसैन हाजी ने कहा कि आज की प्रशासनिक और नीतिगत दुनिया में डेटा आधारित निर्णय लेना सबसे महत्वपूर्ण कौशल बन गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण ने अपनी प्रक्रिया में कई सुधार कर देश की प्रगति में योगदान दिया है। आज सर्वेक्षणों की गुणवत्ता बढ़ी है, त्रुटियाँ घटी हैं और परिणामों का प्रकाशन अधिक त्वरित हो रहा है। उन्होंने विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए डाटा संचालित विकास पर विशेष बल दिया।
प्रो. सच्चिदानंद शुक्ल ने अपने भाषण में कहा कि भविष्य में किसी देश की शक्ति उसके डाटा बैंक से आंकी जाएगी। उन्होंने विद्यार्थियों को सांख्यिकी के महत्व के प्रति जागरूक करते हुए इसके अध्ययन को करियर विकल्प के रूप में अपनाने का सुझाव दिया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर संचालित परियोजनाओं की भी जानकारी दी।
डॉ. के. सुब्रमण्यम ने अपने संबोधन में प्रो. महालनोबिस के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि डाटा देशव्यापी नीतियों के निर्माण में आधारशिला का कार्य करता है। किसी भी क्षेत्र में योजना, विश्लेषण एवं मूल्यांकन के लिए आंकड़ों की विश्वसनीयता और समयबद्धता अत्यंत आवश्यक है। केंद्र व राज्य सरकारें किसी भी योजना की शुरुआत से पहले सांख्यिकीय जानकारी पर आधारित निर्णय लेती हैं।
कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और विद्वानों द्वारा प्रेजेंटेशन भी प्रस्तुत किए गए। विजेताओं को पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिससे छात्रों में उत्साह का संचार हुआ।
समारोह में राज्य आर्थिक एवं सांख्यिकी संचालनालय के अधिकारी, विश्वविद्यालय के छात्र-प्राध्यापक, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय से प्रतिनिधि, एनएसओ रायपुर के अधिकारी-कर्मचारी एवं अन्य विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन श्री आर.के. श्रीवास्तव द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।