BREKING NEWSछत्तीसगढ़

किसानों को मिली ’’मिलेट मिक्सी’’, पोषण सुरक्षा की ओर एक मजबूत कदम

दंतेवाड़ा । जिला प्रशासन ने पोषण सुरक्षा और किसानों की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल की है। जिले में मिलेट्स जैसे पारंपरिक और पोषणयुक्त अनाज जैसे कोदो, कोसरा और रागी के उपयोग को प्रोत्साहित करते हुए प्रशासन द्वारा गीदम विकासखंड के 20 किसानों को मिलेट मिक्सी वितरित की गई है। इस पहल का उद्देश्य न केवल मिलेट्स के घरेलू उपयोग को बढ़ावा देना है, बल्कि इन फसलों के उत्पादन का अधिकतम लाभ किसानों को दिलाना भी है।

कार्यक्रम का आयोजन और सहभागिता  : 

वितरण कार्यक्रम का आयोजन जिला पंचायत सदस्य एवं कृषि विभाग की सभापति ममता मंडावी के करकमलों से किया गया। इस अवसर पर कृषि विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, जनप्रतिनिधि तथा बड़ी संख्या में कृषकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम में मिलेट आधारित जीवनशैली को अपनाने और इसे ग्रामीण अंचल में प्रोत्साहित करने की दिशा में सार्थक संवाद भी हुआ।

मिलेट्स की खेती और चुनौतियां  : 

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में दंतेवाड़ा जिले में लगभग 16 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो, कोसरा और रागी जैसी फसलें उगाई जाती हैं। हालांकि इन फसलों की स्थानीय प्रोसेसिंग सुविधाओं की कमी के चलते अधिकांश किसान इन्हें खुले बाजार में बेचने को विवश हैं, जिससे उन्हें इनका पूरा मूल्य नहीं मिल पाता। इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए किसानों को प्रोसेसिंग उपकरण प्रदान कर उन्हें स्वयं के उपभोग तथा मूल्यवर्धन की दिशा में सक्षम बनाने का प्रयास किया गया है।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य किसानों को घर पर ही अनाजों की प्रोसेसिंग की सुविधा देना है, जिससे वे मिलेट्स को अपने दैनिक आहार में शामिल कर सकें। इससे न केवल ग्रामीण परिवारों में पोषण स्तर में सुधार होगा, बल्कि इन अनाजों की बाजार में मांग और मूल्य में भी वृद्धि होगी। साथ ही, यह खाद्य विविधता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने में सहायक सिद्ध होगा।

इसके अलावा कोदो, कोसरा और रागी जैसे अनाज पोषण का भंडार हैं, जिनमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम, जिंक और बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इनका सेवन मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों के नियंत्रण में सहायक होता है। साथ ही, इनमें फाइबर की अधिकता इन्हें पाचन के लिए लाभकारी बनाती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाती है। विशेष रूप से रागी में उच्च मात्रा में कैल्शियम होता है, जो बच्चों और महिलाओं के लिए अत्यंत उपयोगी है। इन फसलों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये कम पानी और उर्वरक में भी अच्छी उपज देती हैं, जिससे ये पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि का उत्कृष्ट उदाहरण बनती हैं।

जिला प्रशासन द्वारा आगामी समय में जिले के सभी मिलेट उत्पादक किसानों को चरणबद्ध रूप से प्रोसेसिंग उपकरण प्रदान करने की योजना बनाई गई है। साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर उत्पाद आधारित विपणन रणनीतियों को भी लागू किया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करते हुए जिले को मिलेट आधारित पोषण मॉडल के रूप में स्थापित करना है।

Related Articles

Back to top button