Starlink से जुड़ने वाला पहला राज्य बनेगा महाराष्ट्र

मुंबई । महाराष्ट्र सरकार और स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशन्स ने बुधवार को लेटर ऑफ इंटेंट (LoI) साइन किया, जो भारत में सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट सेवा लाने की दिशा में पहला कदम है। ये साझेदारी आधिकारिक रूप से तब लागू होगी जब SpaceX की इस सब्सिडियरी को दूरसंचार विभाग (DoT) और भारत सरकार से नियामक मंजूरी मिल जाएगी।
इस डील के तहत राज्य में सैटेलाइट-बेस्ड इंटरनेट सर्विसेज शुरू की जाएंगी। मजेदार बात ये है कि महाराष्ट्र ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। इससे राज्य के दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों में उपग्रह-आधारित इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद मिलेगी। राज्य सरकार के इस बड़े फैसले से इंटरनेट की पहुंच मजबूत होगी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की उपस्थिति में स्टारलिंक की उपाध्यक्ष लॉरेन ड्रेयर और महाराष्ट्र सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव वीरेंद्र सिंह ने इस आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस रणनीतिक सहयोग के तहत, यह अत्याधुनिक तकनीक महाराष्ट्र सरकार और स्टारलिंक को राज्य के दूरस्थ और वंचित क्षेत्रों, जैसे आदिवासी स्कूल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, आपदा नियंत्रण कक्ष, वन चौकियां, तटीय क्षेत्र और गढ़चिरौली, नंदुरबार, धाराशिव और वाशिम जैसे आकांक्षी जिलों को जोड़ने के लिए मिलकर काम करने में सक्षम बनाएगी। महाराष्ट्र ने ऐसा यह भारत सरकार से स्टारलिंक की नियामक और अनुपालन मंजूरी मिलने के बाद किया है।
इस मौके पर सीएम फडणवीस ने कहा कि स्टारलिंक के महाराष्ट्र के साथ हाथ मिलाकर हम हर गांव, हर स्कूल और हर स्वास्थ्य केंद्र को, चाहे वह कितना भी दूरस्थ क्यों न हो, जोड़कर अंतिम डिजिटल खाई को पाट रहे हैं। यह साझेदारी वास्तव में एक कनेक्टेड भविष्य के लिए तैयार महाराष्ट्र के निर्माण की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। फडणवीस ने कहा कि इस फैसले के साथ महाराष्ट्र सैटेलाइट-बेस्ड डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में देश का लीडर बनेगा।
Elon Musk की SpaceX की सब्सिडियरी Starlink लो-अर्थ ऑर्बिट में दुनिया की सबसे बड़ी सैटेलाइट कम्युनिकेशन नेटवर्क चलाती है। Space.com के मुताबिक, अक्टूबर तक लगभग 8,811 स्टारलिंक सैटेलाइट ऑर्बिट में थे, जिनमें से 8,795 एक्टिव थे। कंपनी जनवरी 2025 से भारत में कमर्शियल सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस शुरू करने के लिए रेग्युलेटरी अप्रूवल का इंतजार कर रही है। भारत के इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर में फिलहाल मोबाइल और फाइबर नेटवर्क का दबदबा है, ऐसे में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर की एंट्री एक बड़ा मील का पत्थर साबित होगी।



