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महावतार नरसिम्हा सिर्फ फिल्म नहीं, संस्कृति की वापसी की शुरुआत है: अश्विन कुमार

मुंबई । अपनी आने वाली ग्रैंड माइथोलॉजिकल फिल्म “महावतार नरसिम्हा” को लेकर डायरेक्टर अश्विन कुमार ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ कहा है कि यह फिल्म सिर्फ एक धार्मिक कथा नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन, शास्त्रों और आत्मबोध की वापसी का माध्यम है।

हमारे भगवान ही असली हीरो हैं: अश्विन कुमार
अश्विन कुमार ने कहा, “जब भारत गुलाम हुआ, तब से हमारे मन भी गुलामी में चले गए। आज की पीढ़ी को अपनी संस्कृति, अपने धर्म और दर्शन से जोड़ना वक्त की ज़रूरत है।” उन्होंने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में शास्त्र, धर्मग्रंथ और भारतीय सोच को पर्याप्त स्थान नहीं मिलता, जिससे नई पीढ़ी अपनी जड़ों से कटती जा रही है।

उन्होंने कहा कि हमारे भगवान ही असली हीरो हैं। जब उनकी कहानियां युवाओं के मन में उतरती हैं, तो गर्व, स्पष्ट सोच और आंतरिक शांति जैसे मूल्य अपने आप पैदा होते हैं।

महावतार यूनिवर्स: 10 फिल्मों की माइथोलॉजिकल फ्रेंचाइज़ी
होम्बले फिल्म्स और क्लीम प्रोडक्शन्स के संयुक्त बैनर तले शुरू हो रहा ‘महावतार यूनिवर्स’ भारतीय माइथोलॉजी की सबसे भव्य फिल्म श्रृंखला मानी जा रही है। इसकी शुरुआत होगी महावतार नरसिम्हा (2025) से। इसके बाद आएंगी महावतार परशुराम (2027), महावतार रघुनंदन (2029), महावतार द्वारकाधीश (2031), महावतार गोकुलानंद (2033), महावतार कल्कि पार्ट 1 (2035) और महावतार कल्कि पार्ट 2 (2037)। हर फिल्म भगवान विष्णु के दस अवतारों की गाथा को आधुनिक तकनीक और भव्य विजुअल्स के साथ प्रस्तुत करेगी।

25 जुलाई को रिलीज़ होगी ‘महावतार नरसिम्हा’
अश्विन कुमार के निर्देशन में बनी ‘महावतार नरसिम्हा’ को शिल्पा धवन, कुशल देसाई और चैतन्य देसाई ने प्रोड्यूस किया है। यह फिल्म 3D और पांच भारतीय भाषाओं में रिलीज़ होगी। इसे 5K विजुअल रेंडरिंग, मोशन कैप्चर और एआई-बेस्ड एनिमेशन जैसी अत्याधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है।

सिर्फ फिल्म नहीं, सांस्कृतिक आंदोलन की शुरुआत
कुमार मानते हैं कि यह परियोजना सिर्फ सिनेमा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। वे कहते हैं, “अगर बच्चों को सही तरीके से भारतीय दर्शन और धर्म की शिक्षा दी जाए, तो उनमें स्वाभाविक रूप से आत्मगौरव पैदा होगा।”

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