लाइफस्टाइल

माइग्रेन और सिर दर्द का देसी इलाज: जानें नस्य कर्म क्या है

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में काम का प्रेशर और उल्टी-सीधी दिनचर्या हमारी सेहत को अंदर से खोखला कर रही है. इसका असर सिर्फ शरीर पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी पड़ रहा है. यही वजह है कि ज़्यादातर लोग आजकल तनाव,माइग्रेन,और सिर से जुड़ी कई तरह की बीमारियों की चपेट में बहुत आसानी से आ जाते हैं. आयुर्वेद इसका एक बहुत ही पुराना और कारगर इलाज बताता है, जिसे नस्य कर्म कहते हैं.

नस्य कर्म क्या है? नाक से इलाज का चमत्कारी तरीका

नस्य कर्म, आयुर्वेद के पाँच बड़े इलाज (पंचकर्म) में से एक है. हमारे पुराने आयुर्वेदिक ग्रंथों जैसे चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी इसका ज़िक्र मिलता है और इसे रोज़ाना की दिनचर्या में शामिल करने की सलाह दी गई है.

नस्य कर्म असल में नाक (Nose) के रास्ते से किया जाने वाला इलाज है. इसमें नाक के दोनों छेदों में खास तरह के आयुर्वेदिक तेल , देसी घी, या जड़ी-बूटियों से बने काढ़े की कुछ बूँदें डाली जाती हैं.

आयुर्वेद कहता है: “नासा हि शिरसो द्वारम्या” – इसका मतलब है कि नाक, सिर का मुख्य दरवाज़ा है. यह दरवाज़ा सीधा हमारे दिमाग , गले, आँख, कान और नर्वस सिस्टम यानी स्नायु तंत्र से जुड़ा होता है. इसीलिए जब हम नाक में तेल डालते हैं, तो यह सीधे इन सभी हिस्सों पर असर करता है और उन्हें पोषण देता है.

नस्य कर्म कैसे काम करता है?

नस्य कर्म बहुत तेज़ी से काम करता है. यह शरीर में जमे हुए कफ को पिघलाकर बाहर निकालता है. जब कफ बाहर निकलता है, तो सिर का भारीपन, बंद नाक और माथे की जकड़न तुरंत कम हो जाती है.

यह कसरत की तरह हमारे शरीर में प्राण वायु (प्राण शक्ति) को भी बैलेंस करता है, जिससे मानसिक शांति किसी भी काम में ध्यान लगाने की क्षमता और याददाश्त बढ़ती है. कुछ लोग तो इसे यूथ थेरेपी भी कहते हैं, क्योंकि इससे चेहरे पर एक नैचुरल चमक और निखार आता है.

नस्य कर्म के जबरदस्त फायदे: कौन सी बीमारियां ठीक होती हैं?

नस्य कर्म करने से आपको सिर्फ एक या दो नहीं, बल्कि सिर से लेकर दिमाग तक कई शानदार फायदे मिलते हैं. यह कई तरह की समस्याओं में राहत देता है:

  1. माइग्रेन और सिरदर्द में राहत: माइग्रेन या लंबे समय से चले आ रहे सिरदर्द में यह बहुत असरदार है. औषधीय तेल नसों को शांत करता है और तनाव वाले हार्मोन को कम करता है.
  2. साइनस और एलर्जी से मुक्ति: कफ पिघलकर नाक के रास्ते को पूरी तरह से साफ कर देता है. इससे सांस लेने में आसानी होती है, और साइनस और एलर्जी से जुड़े लक्षणों जैसे छींक आना या नाक बहना में बहुत आराम मिलता है.
  3. तनाव, चिंता और नींद की समस्या दूर: यह दिमाग की नसों को आरामदेता है, जिससे मन शांत रहता है. तनाव चिंता और अनिद्रा यानी नींद न आने की समस्या दूर होती है, और रात को अच्छी नींद आती है.
  4. बालों का झड़ना रुकता है : नस्य कर्म से शिरो-धातु यानी सिर के अंदर के टिश्यूज़ मज़बूत होते हैं और उन्हें पोषण मिलता है. इससे बालों की जड़ें मज़बूत होती हैं और बाल झड़ना कम हो जाता है.
  5. आँख, कान और गले की सेहत: सिर और चेहरे के अंगों की काम करने की क्षमता बढ़ती है. यह आँखों की रोशनी को बेहतर बनाने और आवाज़ में सुधार लाने में भी मदद करता है.

नस्य कर्म करने का सही तरीका और समय क्या है?

नस्य कर्म का सही तरीका जानना बहुत ज़रूरी है ताकि इसका पूरा फायदा मिल सके.

सही समय: नस्य करने का सबसे अच्छा समय सुबह 6 से 9 बजे के बीच (जब कफ का समय होता है) या फिर शाम को 4 से 6 बजे के बीच होता है.

आसान विधि:

  1. तैयारी: सबसे पहले नाक, माथे और चेहरे पर गुनगुने तिल के तेल से हल्की मालिश करें.
  2. भाप लें: इसके बाद 1 से 2 मिनट के लिए गर्म पानी की भाप लें.
  3. तेल डालें: पीठ के बल लेट जाएँ और अपने सिर को थोड़ा पीछे की ओर झुकाएँ (ऊपर की तरफ).
  4. बूंदें डालें: ड्रॉपर की मदद से हर नथुने में 2-2 बूँदें गुनगुने तेल या घी की डालें.
  5. आराम करें: तेल डालने के बाद मुँह से साँस लें (नाक से नहीं) और अगर अतिरिक्त कफ या तेल गले या मुँह में आता है, तो उसे बाहर निकाल दें. लगभग 15 मिनट तक शांति से लेटे रहें और आराम करें.

ज़रूरी चेतावनी और सावधानियां:

नस्य कर्म को योग और न्यूरो रिसर्च दोनों में सुरक्षित और असरदार माना गया है. यह दिमाग, भावनाओं और चेहरे का संतुलन बनाए रखता है.

  • लेकिन, कुछ स्थितियों में इसे एक्सपर्ट की सलाह के बिना नहीं करना चाहिए:
  • खाना खाने के तुरंत बाद.
  • नहाने से ठीक पहले.
  • तेज़ सर्दी-जुकाम, बुखार या शरीर में बहुत ज़्यादा दर्द होने पर.
  • गर्भावस्था के दौरान.

(सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

Related Articles

Back to top button