‘आपको पापा कहना अच्छा नहीं…, आपको अपनी पत्नी मुबारक, शव को छूना मत’, 22 पेज का नोट लिख भाई-बहन ने दी जान

गाजियाबाद के गोविंदपुरम में आईबी में कार्यरत भाई अविनाश और उसकी बहन अंजलि की आत्महत्या के मामले में सुसाइड नोट मिलने से नया मोड़ आ गया है। बहन अंजलि ने आत्महत्या करने से पहले डायरी के 22 पेजों पर यह सुसाइड नोट लिखा है। अंजलि ने लिखा है कि हमारी मौत के जिम्मेदार मिस रितु (सौतेली मां) और मिस्टर सुखवीर सिंह (पिता) के अलावा और कोई नहीं है। मेरे खाते में पड़े पैसे और पीएफ का हकदार महिम (दोस्त) होगा और मेरी चिता को मिस रितु और मिस्टर सुखवीर सिंह हाथ न लगाएं।
मेरी चिता को आग केवल महिम ही देगा। अंजली ने सुसाइड नोट के पन्नों की फोटो अपने पिता सुखवीर सिंह, सौतेली मां, मौसा अनिल सिंह और मौसी रेखा रानी को व्हाट्सएप पर भेजी है।
इन भाई-बहन ने बृहस्पतिवार को आत्महत्या कर ली थी। घर वालों ने कार्रवाई से इंकार कर दिया था और पुलिस ने सुसाइड नोट न मिलने की बात कही थी। हालांकि शुक्रवार को कमरे की तलाश में पुलिस को डायरी में सुसाइड नोट लिखा मिल गया।
‘…क्योंकि पिता तो सौतेली मां पर विश्वास करते हैं’
नोट में अंजलि लिखा है कि समाज के रीति रिवाज और खोखली शान के लिए पिता सुखवीर सिंह और उनकी मां रितु उनका मानसिक उत्पीड़न करते हैं। रितु देवी की चतुराई के सामने सुखवीर सिंह का अपनी सफाई देना बिल्कुल बेईमानी है। क्योंकि पिता तो सौतेली मां पर विश्वास करते हैं।
आगे लिखा है कि …पापा बच्चे को सिर्फ जन्म देना और केवल स्कूल की फीस भरना ही नहीं होता, उसके साथ समय बिताना, उसकी इच्छा पूरी करना भी होता है। मेरे भाई ने मेहनत करके सरकारी नौकरी पाई है। उसका भी इतना शोषण किया कि वह अपने दोस्तों के साथ कहीं घूमने भी नहीं जा सकता। सुखबीर सिंह आपको पापा कहना अच्छा नहीं लगता। तुम्हें अधिकार नहीं है मेरे शव को छूने का। तुमने अपनी दूसरी शादी के लिए अपने ही बच्चों की खुशियों का गला घोंट दिया है। आपको अपनी पत्नी मुबारक।
सुसाइड नोट में अंजलि ने बगैर मां के होना खुद को अभागन बताया। साथ ही मामा देवेंद्र और मौसा अनिल को संबोधित कर लिखा है कि आप लोग रिश्तेदार हो लेकिन आज तक आप लोगों ने हमारा हाल नहीं जाना। अनिल मौसा के लिए लिखा है कि उनकी बेटी काफी अच्छी है।
‘मेरे चरित्र पर सवाल उठे और पापा चुप रहे’
अंजलि ने सुसाइड नोट में लिखा है कि उनकी सौतेली मां ने उनके चरित्र पर सवाल उठाए,।बदनाम किया और बुरा-भला कहा। ऐसे में भी मेरे पिता चुपचाप रहे और मेरी एक न सुनी। कुछ लोग कहेंगे कि मैं बुरी हूं और अपने माता-पिता के बारे में ऐसा लिख रही हूं। मुझे पता है कि सौतेली मां के साथ 16 साल कैसे बिताए हैं। उसका दर्द मेरे सिवा मेरे भाई को भी है।
‘डायरी के पेज मत फाड़ना…मैं अकेले मरती तो चरित्र पर उठते सवाल’
अंजलि ने सुसाइड नोट में अपनी सौतेली मां को चेतावनी दी कि तुम्हारी चालबाजी और चतुराई से वह वाकिफ हैं। इसलिए डायरी पर लिखे ये पेज मत फाड़ना। क्योंकि इनकी फोटो खींचकर मैंने कई लोगों को भेज दी है। तुम्हारी चतुराई पकड़ी जाएगी। मैं अकेली मरती तो मेरे चरित्र पर सवाल उठता। हम दोनों भाई-बहन मानसिक तनाव में हैं। अब समाज में नजरें उठाकर जीकर दिखाना।
‘मुझे बस मेरे दोस्त ने समझा’
अंजलि ने लिखा कि …महिम अब सबकुछ तेरे हवाले, मैं अब दुनिया छोड़कर जा रही हूं। मुझे तू ही मुखाग्नि देगा, मेरे माता-पिता और अन्य को शव से हाथ नहीं लगाने देना। तुम मेरे शुभचिंतक हो तुम्हें कुछ गिफ्ट करना चाहती हूं। मेरे खाते के सारे पैसे तुम रख लेना, ये मेरा छोटा सा सपोर्ट है।
दूसरे खाते के पैसे एच-352 मकान में रहने वालों को दे देना और मेरी पॉलिसी भी। बाकी सब तेरा है। मैं घर की कलह झेल नहीं पा रही हूं। एक रिश्तेदार ने बताया कि महिम अंजलि का ग्राफिक डिजाइनर दोस्त है और दोनों ने पार्टनरशिप में काम किया है। हालांकि अंजलि कई वर्षों से नोएडा की रैनविक एक्सपोर्ट कंपनी में बतौर टीम लीडर नौकरी करती थीं।
जहरीला पदार्थ खाने से हुई थी मां की मौत
गाजियाबाद के गोविंदपुरम में रहने वाले इंटेलीजेंसी ब्यूरो अधिकारी अविनाश और उनकी बहन अंजलि की आत्महत्या के बाद हापुड़ निवासी उके मामा देवेंद्र ने कविनगर थाने में तहरीर दी है। देवेंद्र सिंह का आरोप है कि अविनाश और अंजलि की मां कमलेश की भी मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई थी। आरोप है कि उनकी बहन की मौत बहनोई के प्रेम संबंधों का विरोध करने पर हुई थी।
कमलेश की मौत के एक वर्ष बाद ही उनके बहनोई ने अपनी प्रेमिका से शादी कर ली और घर ले आए। दोनों उनके भांजे अविनाश और भांजी अंजली का शोषण करने लगे। इससे तंग आकर दोनों भाई-बहन इंदिरापुरम निवासी अपनी मौसी के घर जाकर रहने लगे। देवेंद्र सिंह ने मृतकों के पिता और सौतेली मां पर भांजे और भांजी को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाकर कविनगर थाने में तहरीर दी है।
एसीपी कविनगर भास्कर वर्मा ने बताया कि वर्ष 1995 में जनपद हापुड़ के नवी करीम चंडी रोड निवासी देवेंद्र सिंह जाटव की बहन कमलेश की शादी सुखवीर सिंह निवासी गोविंदपुरम संग हुई थी। शादी के बाद भी सुखबीर सिंह के मेरठ निवासी युवती से प्रेम संबंध थे।
विरोध करने पर उनके बहनोई कमलेश से मारपीट करते थे और शारीरिक व मानसिक उत्पीड़न करते थे। अप्रैल 2007 में उनकी बहन कमलेश ने संदिग्ध परिस्थिति में जहरीला पदार्थ खा लिया था। उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई थी।
अविनाश और अंजलि तब बच्चे थे ऐसे में उन्होंने कोई पुलिस कार्रवाई नहीं की। बताया कि बहन की मौत के बाद सुखवीर सिंह ने प्रेमिका से शादी कर ली और घर ले आए। जहां अविनाश और अंजली की सौतेली मां और उनके पिता सुखबीर सिंह दोनों भाई-बहन का मानसिक उत्पीड़न करने लगे।
छोटी-छोटी बातों पर पीटने लगे। ऐसे में इंदिरापुरम निवासी उनकी बड़ी बहन अविनाश और अंजली को अपने घर ले गईं और पालन पोषण किया। काफी दिनों बाद सुखबीर सिंह उन्हें फिर से अपने घर ले आए और शोषण शुरू कर दिया।
आरोप है कि भाई-बहन को धमकी दी कि जिस तरह तुम्हारी मां की मौत हुई है, उसी तरह तुम भी मर जाओ तो अच्छा है। अपने पिता और सौतली मां के उत्पीड़न से तंग आकर दोनों भाई-बहन ने आत्महत्या कर ली। पीड़ित ने सुखवीर सिंह व उनकी दूसरी पत्नी के खिलाफ तहरीर दी है।
कविनगर एसीपी भास्कर वर्मा का कहना है कि तहरीर प्राप्त हो चुकी है। 1995 में शादी और वर्ष 2007 में कमलेश देवी की मौत और आरोप हाल फिलहाल में लगाए गए हैं इन आरोपों की पहले जांच होगी। उसके बाद ही वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
‘मेरा तो सबकुछ लुट गया, अब कैसे घर जाऊं’
गाजियाबाद के गोविंदपुरम निवासी सुखवीर सिंह पोस्टमार्टम हाऊस पर जमीन की ओर निहारते दिखे। बात करने पर उन्होंने बताया कि मेरा तो सबकुछ लुट गया। दोनों बच्चों की बॉडी लेकर कैसे घर जाऊं। मेरे लिए उस घर में अब क्या रखा है। जिस औलाद के लिए दूसरी पत्नी से संतान उत्पन्न नहीं की आज उन्होंने ने ही समाज में मुझे कलंकित कर दिया।
दोनों बच्चों की मां कमलेश ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी। बच्चों की देखभाल के लिए दूसरी शादी की। दूसरी बीवी को संतान पैदा न करने के लिए मनाया। दोनों की बच्चों में अपना भविष्य देखा।
बेटा काफी होनहार था और आईबी में अधिकारी बन गया। मैं और रितु भी सरकारी जॉब करते हैं किसके लिए कमाई कर रहे हैं अब कौन है जिसे कहें कि हमने ये कमाया। बताया कि अंजली को हम दोनों सरकारी जॉब के लिए कहते जरूर थे लेकिन दबाव नहीं डाला।
नोएडा की एक्सपोर्ट कंपनी में टीम लीडर जॉब कर रही थी। आत्महत्या करने के क्या कारण रहे, क्यों की, कैसे हुआ इस बारे में कुछ भी नहीं पता। बस इतना जरूर पता है कि दोनों बच्चे क्या मरे अब मैं ही मर गया हूं।
भाई-बहन के आत्महत्या के मामले में युवती का सुसाइड नोट मिला है। कुछ बातें उन्होंने शेयर की हैं। पिता और सौतेली मां को आत्महत्या का जिम्मेदार बताया है। मामले की जांच चल रही है। वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।-धवल जायसवाल, डीसीपी सिटी