आर्थिक समीक्षा में वित्तीय साक्षरता और संख्या त्म कता के लक्ष्यों को प्राप्तस करने के लिए सहकर्मी शिक्षण जैसे नवाचारों पर बल दिया गया
नई दिल्ली, 31 जनवरी 2025। केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश की। समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा और मानव पूंजी विकास, प्रगति के आधारभूति स्तंमभों में से एक हैं और राष्ट्रीकय शिक्षा नीति 2020 (एनएपी) इसी सिद्धांत पर आधारित है।
विद्यालयी शिक्षा
समीक्षा में इस बात को रेखांकित किया गया है कि भारत की विद्यालयी शिक्षा प्रणाली 14.72 लाख विद्यालयों में 98 लाख शिक्षकों के साथ 24.8 करोड़ विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करती है (यूडीआईएसई-2023-24)। कुल 69 प्रतिशत सरकारी विद्यालयों में 50 प्रतिशत विद्यार्थी नामांकित हैं और 51 प्रतिशत शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि कुल 22.5 प्रतिशत निजी विद्यालयों में 32.6 प्रतिशत विद्यार्थी नामांकित हैं और 38 प्रतिशत शिक्षक कार्यरत हैं।
समीक्षा में इस बात पर जोर दिया गया है कि एनईपी 2020 का लक्ष्य् 2030 तक 100 प्रतिशत सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) हासिल करना है। प्राथमिक स्त0र (93 प्रतिशत) पर जीईआर लगभग सार्वभौमिक है और माध्यअमिक स्तजर (77.4 प्रतिशत) एवं उच्च(तर माध्य्मिक स्तऔर पर (56.2 प्रतिशत) पर अंतराल को पाटने के प्रयास जारी हैं, जिससे राष्ट्र7 सभी के लिए समावेशी और समान शिक्षा के अपने दृष्टिकोण के समीप पहुंच सके।
समीक्षा में कहा गया है कि हाल के वर्षों में विद्यालयी शिक्षा अधूरी छोड़ने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार गिरावट आई है, जो प्राथमिक स्तर पर 1.9 प्रतिशत, उच्च प्राथमिक स्तर पर 5.2 प्रतिशत तथा माध्यामिक स्तर पर 14.1 प्रतिशत है।
स्वपच्छता और सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) की उपलब्ध ता सहित मूलभूत सुविधाओं में उल्लेाखनीय सुधार हुआ है, जो विद्यालयों की बुनियादी सुविधाओं के विकास में सकारात्मउक प्रवृत्ति को दर्शाता है। यूडीआईएसई 2023-24 रिपोर्ट के अनुसार, कम्यूधाओ टर की सुविधा वाले विद्यालयों की संख्या 2019-20 में 38.5 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 57.2 प्रतिशत हो गई। इसी तरह, इंटरनेट की सुविधा वाले विद्यालयों की संख्याई वर्ष 2019-20 में 22.3 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 53.9 प्रतिशत हो गई।
सरकार समग्र शिक्षा अभियान (निष्ठां, विद्या प्रवेश, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डाइट), कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) आदि), दीक्षा, स्टारर्स, परख, पीएम श्री, उल्लाशस और पीएम पोषण आदि जैसे कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यअम से एनईपी 2020 के उद्देश्योंा को प्राप्तल करने का प्रयास कर रही है।
समीक्षा में इस बात का उल्लेीख किया गया है कि प्रारंभिक बाल्याोवस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) परिदृश्य को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने अप्रैल 2024 में ईसीसीई के लिए राष्ट्री य पाठ्यक्रम, आधारशिला और प्रारंभिक बाल्याोवस्थाे प्रोत्साेहन के लिए राष्ट्री य रूपरेखा, नवचेतना आरंभ की। नवचेतना जन्मई से तीन साल तक की आयु के बच्चोंो के समग्र विकास पर ध्यापन केन्द्रित करती है, जो 36 महीने के प्रोत्साधहन कैलेंडर के जरिए 140 आयु-विशिष्टक गतिविधियों की पेशकश करती है। आधारशिला 3 से 6 साल तक की आयु के बच्चोंे के लिए शिशु केन्द्रित और शिक्षक केन्द्रित शिक्षा का समर्थन करते हुए 130 से अधिक गतिविधियों के साथ खेल आधारित अधिगम को बढ़ावा देती है।
साक्षरता और संख्याित्मवकता के माध्यकम से मजबूत नींव का निर्माण
एनईपी 2020 में कहा गया है कि बुनियादी साक्षरता और संख्याात्मतकता (एफएलएन) शिक्षा और आजीवन अधिगम की सफलता के लिए महत्वेपूर्ण है। इस दिशा में विद्यालयी शिक्षा और साक्षरता विभाग ने राष्ट्री य मिशन, ‘समझ और संख्या।त्मंकता के साथ पढ़ने में प्रवीणता के लिए राष्ट्रीएय पहल (निपुण भारत)’ का शुभारंभ किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश का हर बच्चा वर्ष 2026-27 तक ग्रेड-3 के अंत तक आवश्यंक रूप से एफएलएन प्राप्तश कर ले। प्रत्येबक बच्चेा को एफएलएन हासिल करने में सक्षम बनाना सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा प्रणाली नवीन शिक्षण पद्धतियों और शिक्षण विधियों को अपना रही है। समीक्षा में ऐसे ही एक नवाचार अर्थात् सहकर्मी शिक्षण का उल्लेीख एफएलएन प्राप्तक करने के मार्ग के रूप में किया गया है।
समझ को संवेदनशील बनाना: सामाजिक और भावनात्मलक अधिगम के साथ क्षमता के द्वार खोलना
समीक्षा में कहा गया है कि एनईपी 2020 के अधीन ईसीसीई का उद्देश्य मूलभूत साक्षरता और सामाजिक-भावनात्मकक विकास प्राप्त करना है। समीक्षा में विद्यालयी पाठ्यक्रम में सामाजिक-भावनात्मशक-नैतिक विकास को शामिल करने के लिए शिक्षण विकसित करने के तरीकों का उदाहरण देते हुए शिक्षा में सामाजिक-भावनात्म क अधिगम (एसईएल) के महत्वक के बारे में चर्चा की गई है।
विद्यालयों में उद्योग 4.0 के आगमन के साथ कौशल शिक्षा का महत्वग काफी बढ़ गया है, जो स्व चालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, इंटरनेट ऑफ थिंग्सा (आईओटी), बिग डेटा और रोबोटिक्सच द्वारा परिभाषित एक अत्यंतत गतिशील एवं कौशल गहन युग है।
अंतर को पाटना : शिक्षा में डिजिटल प्रौद्योगिकी और डिजिटल साक्षरता की अनिवार्यता
डिजिटल साक्षरता यह सुनिश्चित करती है कि विद्यार्थी डिजिटल जानकारी का विश्लेवषण, संश्लेाषण और संप्रेषण करने जैसे कौशलों में महारत हासिल करके प्रतिस्प्र्धी बने रहें। तकनीकी परिवर्तन की तीव्र गति के लिए नये डिजिटल रुझानों और शिक्षण पद्धतियों से शिक्षकों के अवगत रहने की आवश्येकता है। शिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और उन्हेंऔ 21वीं सदी की मांगों के अनुरूप तैयार करने के क्रम में प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के प्रयासों के तहत सरकार ने एक अत्या1धुनिक डिजिटल प्लेेटफॉर्म टीचर्सऐप का शुभारंभ किया है।
प्रौद्योगिकी का समावेशन किफायती समाधान प्रस्तुेत करते हुए गुणवत्ताशपूर्ण शिक्षा को व्यानपक आबादी के लिए अधिक सुगम तथा समावेशी बनाता है। समीक्षा में कहा गया है कि शिक्षा प्रणालियों में सुधार लाने के लिए प्रौद्योगिकी का एकीकरण तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केन्द्रित हो सकता है : शिक्षक विकास और छात्र शिक्षण के लिए एआई का उपयोग करना, उद्योगों के अनुकूल कौशल और प्रमाणन को एकीकृत करना तथा व्युक्ति के अनुकूल लर्निंग सॉफ्टवेयर बनाना।
आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया है कि शिक्षा से संबंधित सेवाओं को कुशलतापूर्वक निष्पाादित करने के लिए अधिगम के परिणामों में सुधार लाने के लिए कौशल, शोध, नवाचार संबंधी इकोसिस्टलम, सरकार-शैक्षणिक साझेदारियां और संकाय विकास में निवेश महत्व पूर्ण हैं।
दिव्यांकग बच्चेर (सीडब्लमयूएसएन): समावेशिता की संस्कृसति का विकास
समग्र शिक्षा के तहत दिव्यां ग बच्चोंए की सहायता करने के लिए सहायता उपकरण, सहायक यंत्र, भत्तेै, ब्रेल सामग्री और चिकित्स कीय हस्तीक्षेपों सहित बुनियादी सुविधाओं को मजबूती प्रदान करने के लिए समर्पित धनराशि आवंटित की गई है। अवसंरचना में सुधार के अंतर्गत 11.35 लाख विद्यालयों में रैम्पे, 7.7 लाख विद्यालयों में हैंड्रेल्सव और 5.1 लाख विद्यालयों में सुलभ शौचालय बनाया जाना शामिल हैं।
उच्चयतर शिक्षा
समीक्षा में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली विश्वि की बृहत्तष प्रणालियों में से है। इसमें वर्ष 2021-22 में 4.33 करोड़ विद्यार्थी नामांकित रहे, जो वर्ष 2014-15 में नामांकित 3.42 करोड़ विद्यार्थियों की तुलना में 26.5 प्रतिशत अधिक है। इसी अवधि (वर्ष 2014-15 से वर्ष 2021-22) के दौरान 18-23 आयुवर्ग के लिए जीईआर भी 23.7 प्रतिशत से बढ़कर 28.4 प्रतिशत हो गया। उच्चंतर शिक्षा में वर्ष 2035 तक जीईआर को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने के सरकार के लक्ष्य को हासिल करने के लिए शैक्षिक नेटवर्क और अवसंरचना को दोगुना करने की आवश्योकता है।