आर्थिक समीक्षा : 72.81 करोड़ आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाये गये
नई दिल्ली, 31 जनवरी 2025। भारत की आर्थिक विकास रणनीति अपने सभी नागरिकों की समग्रता और कल्याण पर जोर देती है। सरकार का ध्यान शिक्षा, स्वास्थ्य देखरेख, कौशल विकास और सामाजिक बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने पर प्रमुखता से है। समावेशी आर्थिक विकास विकसित भारत 2047 की कल्पना के मध्य में है।
संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा 2024-25 में कहा गया कि ऐहतियाती उपायों सहित सरकार की पहलों, उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक सार्वभौमिक पहुंच, मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा, और चिकित्सा शिक्षा में प्रगति ने भारत में स्वास्थ्य देखरेख सेवा की अधिक लोगों तक पहुंच में सामूहिक योगदान दिया है और सभी के लिए इसे किफायती बना दिया है।
स्वास्थ्य पर खर्च
आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2022 में स्वास्थ्य पर अनुमानित कुल खर्च (टीएचई) 9,04,461 करोड़ रुपये (जीडीपी का 3.8 प्रतिशत और वर्तमान मूल्यों पर प्रति व्यक्ति 6,602 रुपये) था। वित्त वर्ष 2019 से प्रति व्यक्ति (स्थिर मूल्यों पर) कुल स्वास्थ्य व्यय में वृद्धि की प्रवृति देखने को मिली है। वित्त वर्ष 2015 और वित्त वर्ष 2022 के बीच देश के कुल स्वास्थ्य व्यय में, स्वास्थ्य व्यय में सरकार की हिस्सेदारी 29.0 प्रतिशत से बढ़कर 48.0 प्रतिशत हो गई।
टीएचई में से, वर्तमान स्वास्थ्य व्यय (सीएचई) 7,89,760 करोड़ रुपये (टीएचई का 87.3 प्रतिशत) है, और पूंजीगत व्यय 1,14,701 करोड़ रुपये (टीएचई का 12.7 प्रतिशत) है। टीएचई में पूंजीगत व्यय का हिस्सा वित्त वर्ष 2016 के 603 प्रतिशत से वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 12.7 प्रतिशत पर पहुंच जाना सकारात्मक संकेत है क्योंकि यह व्यापक और बेहतर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की ओर ले जाएगा।
आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी-पीएमजेएवाई)
एबी-पीएमजेएवाई ने भारत की सबसे संवेदनशील आबादी के निचले 40 प्रतिशत को स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करके स्वास्थ्य देखरेख में क्रांति ला दी है।
स्वास्थ्य पर सरकार के खर्च में वृद्धि का परिवारों के सामने आने वाली वित्तीय कठिनाइयों को कम करने पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है। 15 जनवरी, 2025 तक 40 लाख से अधिक वरिष्ठ नागरिकों को इस योजना के अंतर्गत नामांकित किया जा चुका है। एबी-पीएमजेएवाई ने आउट ऑफ पॉकेट खर्च (ओओपीई) में महत्वपूर्ण कटौती करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें 1.25 लाख करोड़ रुपये से अधिक की बचत दर्ज करते हुए सामाजिक सुरक्षा और प्राथमिक स्वास्थ्य पर खर्च में वृद्धि हुई है।
अन्य पहलों जैसे मुफ्त डाइलिसिस योजना से करीब 25 लाख लोग लाभान्वित हुए हैं। ओओपीई में कटौती के साथ स्वास्थ्य देखभाल पर सार्वजनिक खर्च बढ़ा है जिसमें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की दिशा में प्रगति देखने को मिली है।
इस योजना के अंतर्गत उप-स्वास्थ्य केन्द्रों (एसएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (पीएससी) में बदलाव करके आयुष्मान आयोग्य मंदिर (एएएम) (पूर्व में स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र) ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में काम कर रहे हैं जो विभिन्न समुदायों के लिए निवारक, प्रोत्साहक, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास सेवाओं का एक सार्वभौमिक, निःशुल्क एवं विस्तारित पैकेज पेश करते हैं।
स्वास्थ्य देखभाल में प्रौद्योगिकी
आर्थिक समीक्षा में इस बात को भी प्रमुखता दी गई है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के अंतर्गत 72.81 करोड़ आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते बनाये गए।
इसमें यह भी उजागर किया गया है कि ई-संजीवनी राष्ट्रीय टेलीमेडिसिन सेवा, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा में दुनिया की सबसे बड़ी टेलीमेडिसिन पहल के रूप में उभरी है इसने 1.29 लाख एएएम स्पोक्स के माध्यम से 31.19 करोड़ से अधिक रोगियों को सेवा प्रदान की है, जिन्हें 16,447 हब और 676 ऑनलाइन ओपीडी द्वारा सेवा प्रदान की जाती है।