दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत से, इस शहर ने हासिल की शीर्ष स्थान
नई रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत के हैं, जबकि दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। PM2.5 स्तर में कमी के बावजूद, प्रदूषण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर रहा है।

भारत के 13 शहर दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल, दिल्ली बनी सबसे प्रदूषित राजधानी
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में हैं, जबकि दिल्ली सबसे प्रदूषित राजधानी बनी हुई है। हालांकि 2024 में भारत में PM2.5 स्तर में 7% की गिरावट देखी गई—जो 2023 में 54.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से घटकर 50.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रह गया—फिर भी, दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 6 भारत में ही हैं। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार उच्च बना हुआ है, जहां वार्षिक औसत PM2.5 सांद्रता 91.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई, जो 2023 में 92.7 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी।
प्रदूषण से घटी औसत जीवन प्रत्याशा
दुनिया के शीर्ष 20 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 13 शहर शामिल हैं, जिनमें बर्नीहाट, दिल्ली, मुल्लांपुर (पंजाब), फरीदाबाद, लोनी, नई दिल्ली, गुरुग्राम, गंगानगर, ग्रेटर नोएडा, भिवाड़ी, मुजफ्फरनगर, हनुमानगढ़ और नोएडा प्रमुख हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 35% शहरों में वार्षिक PM2.5 स्तर WHO द्वारा तय 5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर की सीमा से 10 गुना अधिक है। अत्यधिक प्रदूषण के कारण भारत में औसत जीवन प्रत्याशा लगभग 5.2 वर्ष तक घट रही है।
प्रदूषण से होने वाली बीमारियां
लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ की एक स्टडी के मुताबिक, 2009 से 2019 के बीच भारत में हर साल लगभग 15 लाख मौतें PM2.5 प्रदूषण के दीर्घकालिक संपर्क से जुड़ी थीं। PM2.5 वे सूक्ष्म कण होते हैं जो फेफड़ों और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं, जिससे सांस संबंधी बीमारियां, हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक धुआं और फसलों के अवशेष जलाना शामिल हैं।
‘अब केवल डेटा नहीं, कार्रवाई की जरूरत’
WHO की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि भारत ने वायु गुणवत्ता डेटा संग्रह में प्रगति की है, लेकिन पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा, ‘अब हमारे पास डेटा है, लेकिन हमें तत्काल कार्रवाई की जरूरत है। कुछ समाधान सरल हैं, जैसे बायोमास को LPG से बदलना। भारत की योजना पहले से मौजूद है, लेकिन गरीब परिवारों, विशेष रूप से महिलाओं के लिए LPG सिलेंडरों पर अधिक सब्सिडी दी जानी चाहिए, ताकि उनका स्वास्थ्य बेहतर हो और बाहरी प्रदूषण भी कम हो।’
‘सख्त नियम और दंड का मिश्रण जरूरी’
पर्यावरण विशेषज्ञ विश्वनाथन के अनुसार, ‘शहरों में सार्वजनिक परिवहन का विस्तार करना और कुछ निजी वाहनों पर प्रतिबंध लगाना प्रदूषण कम करने में मददगार हो सकता है। इसके लिए प्रोत्साहन और दंड का संतुलित मिश्रण आवश्यक है।’ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की पूर्व महानिदेशक ने कहा, ‘सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्सर्जन कानूनों को सख्ती से लागू किया जाए। उद्योगों और निर्माण स्थलों को नियमों का पालन करना होगा और शॉर्टकट अपनाने के बजाय प्रदूषण कम करने वाले उपकरण लगाने होंगे।’
यह रिपोर्ट भारत में प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाती है और स्पष्ट करती है कि यदि तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो इसका दुष्प्रभाव आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और जीवन प्रत्याशा पर पड़ेगा।