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हाई कोर्ट का आदेश: 4 माह में करें नियमित, संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को बड़ी राहत

संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के नियमितीकरण का मुद्दा अहम बना हुआ है। इसी विषय पर दायर याचिका पर बिलासपुर हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। फिलहाल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, रायपुर के कर्मचारियों को राहत मिली है, लेकिन इसका प्रभाव सभी सरकारी विभागों के संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों पर पड़ सकता है।

प्रमुख बिंदु:

  • एनआईटी रायपुर के कर्मचारियों की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला।
  • अन्य सरकारी विभागों के संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों को भी उम्मीद मिली।
  • हाई कोर्ट के निर्णय के बाद सरकार ने भर्ती नियमों में किया बदलाव।

    रायपुर: संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर बिलासपुर हाई कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) रायपुर में कार्यरत कर्मचारियों की याचिका पर न्यायाधीश ए.के. प्रसाद ने चार महीने के भीतर उन्हें नियमित करने का आदेश दिया है।

    कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता 10 से अधिक वर्षों से कार्यरत हैं और उनके पास पर्याप्त अनुभव है। ऐसे में उन्हें वर्तमान पद पर ही नियमित किया जाए।

    विभिन्न सरकारी संस्थानों के कर्मचारियों को मिली उम्मीद

    हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद प्रदेश के अन्य सरकारी संस्थानों में कार्यरत संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को भी नियमितीकरण की उम्मीद जगी है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने राज्य सरकार से अन्य संस्थानों के ऐसे कर्मचारियों को भी नियमित करने की मांग की है।

    इस संदर्भ में, कांग्रेस ने 2018 के अपने घोषणा पत्र में नियमितीकरण का वादा किया था। भूपेश सरकार के गठन के बाद, 11 दिसंबर 2019 को प्रमुख सचिव (वाणिज्य एवं उद्योग, सार्वजनिक उपक्रम विभाग) की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई थी, जिसे रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी। इसके बाद, 16 सितंबर 2022 को कर्मचारियों की मांगों पर विचार करने के लिए प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में एक और समिति गठित की गई। नियमितीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश भी जारी किए थे।

     

    मामले का पूरा विवरण

    याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल और अन्य 40 कर्मचारियों ने अधिवक्ता दीपाली पांडेय के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में उन्होंने बताया कि उन्होंने लिखित परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद एनआईटी रायपुर में साक्षात्कार और मेरिट के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की थी। उन्होंने उच्चतम न्यायालय द्वारा अन्य राज्यों में पारित आदेशों का भी हवाला दिया, जिसे कोर्ट ने न्याय दृष्टांत के रूप में स्वीकार किया।

    हाई कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने बदले नियम

    बिलासपुर हाई कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने भर्ती नियमों में बदलाव किया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा संशोधित निर्देशों के अनुसार, अब छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन सरगुजा में क्षेत्रीय समन्वयक और लेखा सह एमआईएस सहायक पदों के लिए केवल सरगुजा जिले के निवासियों की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है।

    अब पूरे राज्य के मूल निवासी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान 29 सितंबर 2022 को जारी विज्ञापन में केवल सरगुजा जिले के निवासियों को पात्र माना गया था।

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