EC का फैसला: छत्तीसगढ़ में 6 प्रत्याशियों पर 3 साल का चुनावी प्रतिबंध, लेकिन इस अवधि में चुनाव ही नहीं!
छत्तीसगढ़ में चुनाव आयोग ने एक अजीब फैसला सुनाया है। मामला लोकसभा चुनाव 2024 से जुड़ा है, जहां कुछ प्रत्याशियों ने अपने चुनावी खर्च का विवरण नहीं दिया था। इस पर आयोग ने उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जिस अवधि के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया है, उस दौरान कोई चुनाव होने ही नहीं वाले हैं।

मुख्य बिंदु:
- निर्वाचन आयोग के सचिव विनोद कुमार ने आदेश जारी किया।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10क के तहत कार्रवाई।
- निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के अनुसार लिया गया फैसला।रायपुर: लोकसभा चुनाव 2024 में चुनावी खर्च का ब्योरा न देने वाले प्रत्याशियों पर निर्वाचन आयोग ने सख्त कार्रवाई की है। आयोग ने छह प्रत्याशियों को तीन साल तक किसी भी चुनाव में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह आदेश निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के उल्लंघन के आधार पर जारी किया गया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि प्रतिबंध की अवधि के दौरान प्रदेश में कोई चुनाव नहीं होगा। पंचायत, नगरीय निकाय, विधानसभा और लोकसभा चुनाव इस अवधि में नहीं होने हैं, जिससे इन प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने का कोई अवसर नहीं मिलेगा। निर्वाचन आयोग के सचिव विनोद कुमार ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। यह कार्रवाई लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 10क के तहत की गई है।
क्या कहता है नियम?
लोकसभा चुनाव के दौरान सभी प्रत्याशियों को प्रचार के दौरान किए गए खर्च का ब्योरा तीन चरणों में जिला निर्वाचन अधिकारी कार्यालय में जमा करना अनिवार्य होता है। यह विवरण चुनाव परिणाम घोषित होने के 30 दिनों के भीतर प्रस्तुत करना जरूरी था।
जिले में छह प्रत्याशियों ने तय समयसीमा के भीतर खर्च का ब्योरा जमा नहीं किया। इसके बाद निर्वाचन आयोग ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया और 20 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा। निर्धारित समय में प्रत्याशियों द्वारा जवाब न देने पर आयोग ने कार्रवाई करते हुए सभी पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इन प्रत्याशियों पर लगा प्रतिबंध:
- ममता रानी साहू (बहुजन समाज पार्टी)
- पीतांबर जांगड़े (आज़ाद समाज पार्टी)
- हीरानंद नागवानी (रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया)
- इमरान खान (निर्दलीय)
- नूरी खां (निर्दलीय)
- राजेश ध्रुव (निर्दलीय)
निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन के तहत कार्रवाई
यह कार्रवाई निर्वाचन आयोग की निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार की गई है। आयोग का कहना है कि चुनाव खर्च का विवरण न देने पर प्रतिबंध लगाने का नियम पहले से तय था, और इसी नियम के तहत यह आदेश जारी किया गया है।