परिसीमन के बहाने विधानसभा चुनाव की तैयारी में DMK, सीतारमण ने सीएम स्टालिन पर किया हमला
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को द्रमुक पर निशाना साधते हुए कहा कि उसकी सरकार के पास आगामी विधानसभा चुनाव में जनता के सामने दिखाने लायक कोई उपलब्धि नहीं है। इसलिए वह हिंदी थोपने और संसदीय सीटों के परिसीमन जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठा रही है। उन्होंने राज्य की कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल उठाते हुए इसे अराजक करार दिया।

HighLights
- केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा – द्रमुक सरकार के पास जनता को दिखाने लायक कोई उपलब्धि नहीं।
- अपनी नाकामी और भ्रष्टाचार छिपाने के लिए द्रमुक भावनात्मक मुद्दों को भुना रही है।
सीतारमण का द्रमुक पर वार: उपलब्धियों के अभाव में भावनात्मक मुद्दों का सहारा
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को द्रमुक सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके पास आगामी विधानसभा चुनावों में जनता के सामने पेश करने के लिए कोई ठोस उपलब्धि नहीं है। इसी कारण वह हिंदी थोपने और संसदीय सीटों के परिसीमन जैसे भावनात्मक मुद्दों को उछाल रही है।
तमिलनाडु में कानून-व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक
सीतारमण ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को अराजकता करार दिया। उन्होंने अन्ना विश्वविद्यालय की छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले को उठाते हुए सवाल किया कि क्या आरोपी द्रमुक से जुड़ा नहीं है? उन्होंने द्रमुक सरकार से पूछा कि उसने तमिलनाडु के विकास के लिए क्या ठोस कदम उठाए हैं।
द्रमुक की नाकामी छिपाने के लिए भावनात्मक मुद्दों का सहारा
सीतारमण ने आरोप लगाया कि द्रमुक अपनी अक्षमता और भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए भावनात्मक मुद्दों को भुना रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्पष्ट कर चुके हैं कि परिसीमन के मामले में किसी भी राज्य के साथ अन्याय नहीं होगा। उन्होंने हिंदी थोपने के विवाद को ‘झूठा प्रचार’ करार दिया और कहा कि लोकसभा सीटों के निर्धारण में केवल जनसंख्या ही एकमात्र पैमाना नहीं होता, जैसा कि लद्दाख और लक्षद्वीप जैसे छोटे जनसंख्या वाले क्षेत्रों से स्पष्ट है।
भाजपा का काले झंडों के साथ प्रदर्शन
तमिलनाडु भाजपा ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर अंतर-राज्यीय जल विवादों में राज्य के हितों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए शनिवार को काले झंडों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा के राज्य अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा कि तमिलनाडु को केरल और कर्नाटक के साथ जल बंटवारे में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री स्टालिन ने इन मुद्दों पर कोई ठोस प्रयास नहीं किया। इसके बजाय, वह परिसीमन को लेकर मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर दिखावटी राजनीति कर रहे हैं।
परिसीमन से राज्यों का प्रतिनिधित्व प्रभावित न हो: जगन मोहन रेड्डी
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि परिसीमन की प्रक्रिया इस तरह होनी चाहिए कि इससे लोकसभा और राज्यसभा में किसी राज्य का प्रतिनिधित्व कम न हो। उन्होंने कहा कि यह संवेदनशील मुद्दा देश में सामाजिक और राजनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
सभी दलों की सहमति से हो परिसीमन: वीरप्पा मोइली
कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने परिसीमन को लेकर बनी अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की और कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यह आश्वासन कि दक्षिणी राज्यों की संसदीय सीटें कम नहीं होंगी, पर्याप्त नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि परिसीमन आयोग का गठन होना चाहिए और इस प्रक्रिया में सभी दलों को शामिल किया जाना चाहिए।
जनगणना के बिना परिसीमन संभव नहीं: कांग्रेस
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि परिसीमन तभी किया जा सकता है जब 2026 के बाद पहली जनगणना पूरी हो। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 2001 में संविधान में संशोधन कर परिसीमन को 2026 तक टालने का प्रावधान किया था, जिसका अर्थ है कि यह प्रक्रिया 2031 तक स्थगित रहनी चाहिए। एनसीपी (एसपी) नेता सुप्रिया सुले ने भी निष्पक्ष परिसीमन की मांग करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से होनी चाहिए।