
रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के समय यानी वर्ष 2000 में प्रदेश में केवल 78,376 वाहन पंजीकृत थे। लेकिन पिछले 24 वर्षों में यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा है और मार्च 2025 तक राज्य में 80 लाख से अधिक वाहन पंजीकृत हो चुके हैं—यानि वाहनों की संख्या में 11 गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है।
हर साल औसतन 7.5 लाख नए वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं, जिससे यातायात का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस दबाव के कारण न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या गहराई है, बल्कि सड़क दुर्घटनाओं में भी चिंताजनक इजाफा हुआ है। प्रदेश की सड़कों पर अब लोगों और वाहनों की इतनी अधिक भीड़ है कि चलने की जगह तक नहीं बची है। वहीं, सड़कों की संख्या और लंबाई में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई, जिससे हालात और बदतर हो गए हैं।
2024 में रिकॉर्ड सड़क हादसे और मौतें:
साल 2024 में प्रदेश भर में 12,600 से ज्यादा सड़क हादसे दर्ज किए गए, जिनमें 14 हजार लोग घायल हुए और 6,753 लोगों की मौत हो गई। अकेले रायपुर जिले में 500 से अधिक मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा पुलिस थानों में दर्ज मामलों का है, जबकि कई हादसे ऐसे होते हैं जो आपसी समझौते में सुलझा लिए जाते हैं और थाने तक नहीं पहुंचते।
मरने वालों में 80 प्रतिशत दोपहिया वाहन चलाने वाले युवा हैं। ये आंकड़े हर साल बढ़ते जा रहे हैं। दुर्घटनाओं के पीछे प्रमुख कारणों में हेलमेट और सीट बेल्ट का उपयोग न करना, शराब के नशे में वाहन चलाना, तेज रफ्तार और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी शामिल हैं।
फैक्ट फाइल (वाहनों की संख्या):
- 2000: 78,376
- 2010: 16,58,592
- 2025: 80 लाख+ (मार्च तक)
सड़क हादसों के मुख्य कारण:
- वाहन चालकों द्वारा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, तेज गति में वाहन चलाना।
- पैदल यात्रियों की लापरवाही, जैसे फुटपाथ का इस्तेमाल न करना।
- वाहनों में तकनीकी खामियां जैसे बैक व्यू मिरर या रिफ्लेक्टर का न होना।
- खराब सड़कें, अतिक्रमण और नो-पार्किंग ज़ोन में वाहन खड़ा करना।
दोपहिया वाहन चालकों की सबसे ज्यादा मौतें:
राज्य में सड़क हादसों में मरने वालों में 69.63% मोटरसाइकिल सवार हैं।
इसके अलावा:
- पैदल यात्री: 15.48%
- ट्रैक्टर: 3.43%
- कार सवार: 2.95%
- साइकिल सवार: 2.73%
- मालवाहक वाहन: 2.18%
- ट्रक-ट्रेलर: 2.04%
- हल्के यात्री वाहन: 0.83%
- बस: 0.73%
सबसे अधिक 43% हादसे दोपहर 3 बजे से रात 9 बजे के बीच होते हैं।
सड़क सुरक्षा की अनदेखी बना बड़ा खतरा:
वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, लेकिन सड़कों के विस्तार और ट्रैफिक व्यवस्थाओं में कोई ठोस सुधार नहीं हो पाया है। इसके अलावा लोगों में ट्रैफिक सेंस की भी भारी कमी है। टर्निंग पर गलत तरीके से मुड़ना, नाबालिगों को वाहन चलाने देना और नियमों की अवहेलना जैसी आदतें सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा कर रही हैं।
प्रदेश में सड़क सुरक्षा को लेकर अब सख्त और प्रभावी कदम उठाना बेहद ज़रूरी हो गया है।