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Chhattisgarh News: गुलाब की खेती बनी सफलता की राह, पत्नी के हौसले ने युवा किसान की बदली किस्मत

26 वर्षीय देवेंद्र ने अपनी मेहनत और पत्नी के हौसले से पारंपरिक खेती छोड़ गुलाब की खेती शुरू की, जिससे न सिर्फ उन्होंने अपनी किस्मत बदली, बल्कि लाखों की कमाई कर युवाओं के लिए मिसाल बन गए।

रायपुर। कोरोना काल ने जहां लाखों लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित किया, वहीं कुछ लोगों ने उसी मुश्किल घड़ी को अपनी मेहनत और संघर्ष से अवसर में बदल दिया। बालोद जिले के 26 वर्षीय देवेंद्र कुमार सिन्हा की कहानी भी ऐसी ही है। बेरोजगारी और अनिश्चितता के दौर में जब सभी रास्ते बंद नज़र आ रहे थे, तब उनकी पत्नी दीप्ति और पिता भुनेश्वर प्रसाद सिन्हा ने उन्हें उम्मीद दी और आगे बढ़ने का हौसला दिया।

देवेंद्र ने पारंपरिक खेती को छोड़कर फूलों की खेती की ओर रुख किया और आज वे सफलता की मिसाल बन चुके हैं। पत्नी की प्रेरणा और खुद की मेहनत के दम पर उन्होंने न केवल अपनी किस्मत बदली, बल्कि लाखों की कमाई कर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए।

गेंदे से शुरुआत, गुलाब से पहचान
देवेंद्र बताते हैं कि वर्ष 2022 में उन्होंने पत्नी के सुझाव पर गेंदे की खेती शुरू की, क्योंकि उनकी पत्नी के पिता पहले से ही इसमें अनुभवी थे। सरकारी योजनाओं की जानकारी उन्होंने खुद वेबसाइट से जुटाई और खेती की शुरुआत की। साथ ही, उन्होंने 60 डिसमिल ज़मीन में गुलाब के फूल भी लगाए। आज उनके पास एक एकड़ में गुलाब, दो एकड़ में रजनीगंधा और आधे एकड़ में गेंदे की खेती है।

आठ से दस लोगों को दे रहे रोजगार
देवेंद्र की गुलाब की खेती अब दुर्ग, रायपुर से लेकर ओडिशा तक मशहूर हो चुकी है। सालाना 15 से 20 लाख रुपये की आमदनी के साथ वे आठ से दस मजदूरों को सालभर रोजगार भी दे रहे हैं। खेती से पहले देवेंद्र स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी और निजी उद्यानों के निर्माण का कार्य करते थे।

खास मिट्टी और पौधों का चयन
देवेंद्र ने गुलाब की खेती के लिए मिट्टी चयन में काफी सावधानी बरती। चूंकि गुलाब के लिए काली मिट्टी उपयुक्त नहीं होती, उन्होंने लाल मिट्टी के विकल्प के रूप में मुरुम का उपयोग किया। गुलाब की दो प्रीमियम किस्में—‘टॉप सीक्रेट’ (जिसे ताजमहल भी कहा जाता है) और ‘जुमेलिया’—पुणे और बेंगलुरु से मंगवाईं, जबकि रजनीगंधा के पौधे कोलकाता से मंगवाए।

पाली हाउस में हुआ बड़ा निवेश
गुलाब की खेती के लिए देवेंद्र ने करीब 60 से 70 लाख रुपये का निवेश किया, जिसमें सबसे अधिक खर्च पाली हाउस के निर्माण पर हुआ। पाली हाउस बनाने में करीब 52 लाख रुपये लगे। इस पर उन्हें शासन से सब्सिडी मिली, साथ ही 40 लाख रुपये का बैंक लोन लिया और 13 लाख रुपये अपनी ओर से लगाए। अब उनके फूलों के गुलदस्ते 150 से 250 रुपये तक बिकते हैं, जिससे अच्छी आमदनी हो रही है। वे रजनीगंधा के फूल भी बाजार में सप्लाई कर रहे हैं।

देवेंद्र की यह सफलता न केवल उनके परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों को भी आधुनिक और लाभकारी खेती की राह दिखा रही है।

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