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रायपुर: नगर निगम के गड्ढे में गिरा मासूम, बाइक सवार युवक ने जान पर खेलकर बचाया

पोते की जान बचाने वाले मसीहा का नाम तक न जान सके परिजन, गड्ढे में गिरा था मासूम, फिलहाल स्वस्थ

रायपुर। रविवार को रामनगर क्षेत्र में सीवरेज में डूबने से एक बच्चे की मौत हो गई, वहीं शनिवार को वार्ड-62 में भी ऐसा ही एक हादसा टल गया। शीतला मंदिर के पास छत्तीसगढ़ नगर में नगर निगम द्वारा खोदे गए करीब चार फीट गहरे गड्ढे में तीन साल का मासूम कुशांत साहू गिर गया। सौभाग्य से, एक बाइक सवार युवक की नजर उस पर पड़ गई और वह अपनी बाइक छोड़कर तुरंत गड्ढे में कूद गया, जिससे बच्चे की जान बच गई।

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर 10 सेकंड की भी देरी हो जाती, या बच्चा नजर से ओझल हो जाता, तो बड़ा हादसा हो सकता था। गड्ढे में गिरने से बच्चे ने गंदा पानी पी लिया था, जिसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाया गया। फिलहाल बच्चा स्वस्थ है।

मासूम की दादी संतोषी साहू ने बताया कि जिस युवक ने उनके पोते की जान बचाई, उसका नाम तक वे नहीं जान पाए। वह युवक अपनी बच्ची को अस्पताल ले जा रहा था, लेकिन पोते को डूबता देख उसने तुरंत गड्ढे में छलांग लगा दी। हमारे बार-बार आग्रह के बावजूद उसने किसी तरह का इनाम या मदद लेने से इनकार कर दिया और फिर जल्दी में अपनी बेटी को लेकर अस्पताल चला गया। हमें अफसोस है कि हम उसका नाम तक नहीं जान सके। पूरा परिवार उसका आभार जताना चाहता है।

यह घटना नगर निगम की लापरवाही को उजागर करती है। छत्तीसगढ़ नगर में झागदार और गंदा पानी आने की शिकायत के चलते निगम ने जगह-जगह गड्ढे खोद रखे हैं, जिन्हें खुले छोड़ दिया गया है। इनमें से किसी पर भी सुरक्षा घेरे या चेतावनी संकेत नहीं लगाए गए हैं, जबकि नियमों के अनुसार हर गड्ढे को सुरक्षित घेरा और रेडियम पट्टी से चिन्हित किया जाना चाहिए।

ऐसे ही कई खतरनाक गड्ढे शहर के अन्य हिस्सों में भी हैं — जैसे पंडरी मार्केट, राजबंधा मैदान और पुराना बस स्टैंड क्षेत्र में। पंडरी मार्केट में तो 15 से 20 फीट गहरा गड्ढा भी खुला पड़ा है, जो कभी भी गंभीर हादसे का कारण बन सकता है।

स्थानीय लोगों का आरोप है कि वार्ड पार्षद बद्री प्रसाद गुप्ता फोन नहीं उठा रहे हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने क्षेत्र की जनता से नाता तोड़ लिया है। हालांकि, पूर्व पार्षद देवेंद्र यादव ने घटना के बाद परिवार से मुलाकात की और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

इस तरह की घटनाएं नगर निगम की गंभीर लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता की पोल खोलती हैं। यदि समय रहते सतर्कता नहीं बरती गई, तो ये गड्ढे जानलेवा साबित होते रहेंगे।

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