
रायपुर: झीरम घाटी हमले की 12वीं बरसी पर कांग्रेस नेताओं ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एसआईटी बनाई गई थी ताकि मामले की सही जांच हो सके, लेकिन एनआईए ने जांच रोक दी थी। उन्होंने बताया कि एनआईए ने 24 सितंबर 2014 को पहली चार्जशीट दाखिल की और 28 सितंबर 2015 को सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की, जिसके बाद जांच बंद कर दी गई। इसके अलावा एनआईए ने किसी भी पीड़ित से पूछताछ नहीं की और न ही संदिग्ध नक्सलियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
भूपेश बघेल ने कहा कि जब राज्य सरकार ने एसआईटी का गठन किया, तब एनआईए ने फिर से जांच शुरू कर दी, लेकिन राज्य एजेंसी की जांच को बाधित किया। उन्होंने बताया कि कानूनन एसआईटी तब तक जांच शुरू नहीं कर सकती थी जब तक एनआईए केस की फाइल राज्य सरकार को वापस नहीं करती। पूर्ववर्ती राज्य सरकार की बार-बार मांगों के बावजूद एनआईए ने झीरम की केस फाइल नहीं लौटाई।
उधर, एनआईए ने एसआईटी की जांच को रोकने के लिए हाईकोर्ट से स्टे हासिल किया था, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने यह स्टे खारिज कर दिया। इसके बाद एनआईए सुप्रीम कोर्ट गई, जहां 21 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने भी एनआईए की याचिका खारिज कर दी। हालांकि तब तक राज्य में सरकार बदल चुकी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य की एसआईटी को जांच शुरू करने का रास्ता मिल गया।
भूपेश बघेल ने राज्य सरकार से कहा कि दरभा थाने में पीड़ित परिवारों की रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी जांच शुरू करे। उन्होंने बताया कि आज कई बड़े घोटाले जैसे शराब और कोल घोटाले की जांच ईडी, आईटी, सीबीआई और राज्य की ईओडब्ल्यू कर रही है, लेकिन झीरम मामले में राज्य एजेंसी को जांच से रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कोर्ट का रुख किया। 12 साल बाद भी पीड़ितों और घायलों को न्याय नहीं मिला है।
भाजपा पर भी आरोप लगाते हुए भूपेश बघेल ने कहा कि भाजपा सरकारें हमेशा झीरम की जांच रोकने की कोशिश करती रही हैं। उन्होंने कहा कि एनआईए ने अब तक घायलों और पीड़ितों के बयान तक नहीं लिए, जो उनकी परदारी और साजिश को साबित करता है। भाजपा नेताओं को डर है कि झीरम का सच सामने आने से उनकी साजिशें फेल हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अवरोधों के कारण जांच नहीं हो पाई, जो दुखद है।
नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने कहा कि यह दिन कांग्रेस के लिए बेहद दुखद है क्योंकि इस हमले में कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए। उन्होंने शहीदों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि छत्तीसगढ़ की जनता जानना चाहती है कि कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सुरक्षा नक्सल प्रभावित इलाके से क्यों हटाई गई थी। उन्होंने कहा कि झीरम नरसंहार भाजपा की तत्कालीन सरकार की बड़ी चूक और षड्यंत्र था। उनके अनुसार, यह कांग्रेस के लिए एक ऐसा घाव है जो कभी भर नहीं सकता और देश के लोकतंत्र के लिए एक कलंक भी है।