
कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा से एक अनोखा घोटाला सामने आया है, जहां तकनीकी कर्मचारियों के लिए निर्धारित गुड़ का वितरण असली कर्मचारियों से कहीं अधिक दिखाया जा रहा है। राज्य विद्युत मंडल के डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ताप विद्युत गृह (डीएसपीएम) में सिर्फ 160 तकनीकी कर्मचारी कार्यरत हैं, लेकिन दस्तावेजों में 400 कर्मचारियों को गुड़ बांटने का रिकार्ड बनाया गया है। इसका मतलब है कि 240 ऐसे लोग भी गुड़ ले रहे हैं, जो इस योजना के पात्र नहीं हैं।
दरअसल, 14 मई 2003 को जारी आदेश के तहत कर्मचारियों को कोयला-राखड़ के प्रदूषण से बचाने और स्वास्थ्य सुधार के लिए रोजाना 100 ग्राम गुड़ वितरित करने का नियम है। हालांकि, विद्युत कंपनी बनने के बाद अधिकारी भी बिना किसी औपचारिक आदेश के गुड़ ले रहे हैं, जबकि वे गुड़ से परहेज करते हैं।
छत्तीसगढ़ विद्युत कर्मचारी संघ फेडरेशन-एक के महासचिव आर.सी. चेट्टी ने सूचना के अधिकार के तहत इस वितरण का विस्तृत ब्यौरा मांगा, जिससे इस घोटाले की पोल खुली। ज्ञात हुआ कि संयंत्र में 400 लोगों के नाम पर सालाना लगभग 12,000 किलो गुड़ खरीदा जाता है, जिसकी लागत लगभग 5,95,920 रुपये है। परन्तु यह गुड़ वास्तविक कर्मचारियों को प्रतिदिन नहीं दिया जाता, बल्कि महीने में एक-दो बार ही वितरित किया जाता है। वहीं, कई अपात्र अधिकारी जैसे मुख्य अभियंता, अधीक्षण अभियंता, कार्यपालन अभियंता और सहायक अभियंता भी इस गुड़ का लाभ उठा रहे हैं।
इस फर्जीवाड़े से कंपनी को हर साल लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। महासचिव चेट्टी ने इस घोटाले के बारे में चेयरमैन को पत्र लिखा है और बताया है कि कोरबा-पश्चिम और मड़वा के संयंत्रों में भी ऐसी गड़बड़ियों की संभावना है।