
मुख्य बिंदु:
- ईओडब्ल्यू और एसीबी ने घोटाले की जांच तेज कर दी है।
- जमीन की कीमत 29.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 78 करोड़ रुपये कर दी गई।
- घोटाले के उजागर होने के बाद 78 करोड़ रुपये का भुगतान रोक दिया गया।
रायपुर: रायपुर-विशाखापत्तनम भारतमाला रोड परियोजना में हुए घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू और एसीबी ने तेज कर दी है। इस घोटाले में संलिप्त अधिकारियों से जल्द पूछताछ की जाएगी और उन पर भ्रष्टाचार के तहत मामला दर्ज किया जाएगा।
सरकारी जांच में सामने आया है कि इस परियोजना में 43.18 करोड़ रुपये का मुआवजा गलत तरीके से दिया गया। अब तक दो तहसीलदार और तीन पटवारियों पर कार्रवाई हो चुकी है, जबकि अन्य बड़े अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लिया गया है।
मुआवजा बढ़ाने के लिए की गई हेराफेरी
रायपुर जिले के अभनपुर में पदस्थ पूर्व एसडीएम निर्भय कुमार साहू पर कुछ भूस्वामियों को गलत तरीके से मुआवजा देने का आरोप है। इस घोटाले में भू-माफियाओं और राजस्व अधिकारियों ने 29.5 करोड़ रुपये के मुआवजे को 78 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया।
- अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में जमीन को छोटे टुकड़ों में बांटकर 159 खसरों में विभाजित कर दिया गया।
- मुआवजे के लिए 80 नए नाम राजस्व रिकॉर्ड में जोड़े गए।
- 559 मीटर की जमीन की कीमत 29.5 करोड़ से बढ़कर 78 करोड़ रुपये तक पहुंच गई।
- अभनपुर क्षेत्र में 9.38 किलोमीटर के लिए 324 करोड़ रुपये मुआवजा राशि तय की गई थी, जिसमें से 246 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है, जबकि 78 करोड़ रुपये का भुगतान फिलहाल रोक दिया गया है।
पिछली तिथि में की गई दस्तावेजों में हेराफेरी
जांच में यह भी सामने आया कि अधिकारियों ने पिछली तिथि में जाकर दस्तावेजों में गड़बड़ी की और जमीन मालिकों को नुकसान पहुंचाया।
- अभनपुर के ग्राम नायकबांधा और उरला में चार एकड़ जमीन, जो पहले एक ही परिवार के पास थी, उसे सर्वे से कुछ दिन पहले 14 लोगों के नाम पर बांट दिया गया।
- इसके बाद एक ही परिवार के सदस्यों को 70 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया गया।
इन अधिकारियों पर लगे घोटाले के आरोप
जांच रिपोर्ट में कई अधिकारियों के नाम सामने आए हैं, जिन पर घोटाले में संलिप्तता के आरोप हैं:
- निर्भय कुमार साहू (तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी)
- शशिकांत कुर्रे (तत्कालीन तहसीलदार, अभनपुर)
- लखेश्वर प्रसाद किरण (तत्कालीन नायब तहसीलदार, गोबरा नवापारा)
- जितेंद्र साहू (तत्कालीन हल्का पटवारी, नायकबांधा)
- दिनेश पटेल (तत्कालीन हल्का पटवारी, नायकबांधा)
- लेखराम देवांगन (तत्कालीन हल्का पटवारी, टोकरो)
इसके अलावा अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।