‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद छत्तीसगढ़ के नौ जिलों को मिलेगा ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ का दर्जा
छत्तीसगढ़ सरकार ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद सिविल डिफेंस को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। राज्य के रायपुर, कोरबा और बिलासपुर सहित नौ जिलों को 'सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट' घोषित किया जाएगा। इन जिलों में लगभग 2,700 वालंटियर तैयार किए जाएंगे, जिन्हें आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। I prefer this response

रायपुर।
देशभर में आतंकवाद के खिलाफ चल रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में सिविल डिफेंस को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। इसके तहत राज्य के नौ जिलों—रायपुर, कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, जांजगीर-चांपा, धमतरी और दंतेवाड़ा—को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ घोषित किए जाने की तैयारी की जा रही है।
दुर्ग-भिलाई में पायलट स्तर पर शुरू हुई इस योजना के सफल क्रियान्वयन के बाद अब इन नए जिलों में लगभग 2,700 वालंटियर तैयार किए जाएंगे। इन्हें आपातकालीन या युद्ध जैसी परिस्थितियों में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
हाल ही में गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। बैठक में डीजीपी अरुणदेव गौतम सहित होम गार्ड्स और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
योजना के अनुसार, प्रत्येक जिले से 300 वालंटियरों का चयन किया जाएगा जिन्हें दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण हर वर्ष दोहराया जाएगा और सभी वालंटियरों का रिकॉर्ड नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा।
सिविल डिफेंस की यह पहल
सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के अंतर्गत यह पहल शुरू की गई है, जिसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर की मान्यता भी प्राप्त है। वर्ष 2009 में इस कानून के तहत आपदा प्रबंधन को भी शामिल किया गया था। प्रारंभ में यह व्यवस्था केवल भिलाई तक सीमित थी, बाद में दुर्ग जिले तक इसका विस्तार हुआ।
अनिवार्य अभ्यास और सायरन अलर्ट
सभी वालंटियरों को मॉक ड्रिल और वार्षिक समीक्षा प्रक्रिया में भाग लेना अनिवार्य होगा। जिला कलेक्टरों को इस अभियान के संचालन, भर्ती और तैयारियों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। वहीं केंद्र सरकार ने सभी 33 जिलों में चेतावनी सायरन सिस्टम स्थापित करने का निर्देश दिया है। हर जिले को 4 से 5 सायरन यूनिट उपलब्ध कराई जाएंगी, जिनका संचालन एसडीआरएफ द्वारा किया जाएगा। ये सायरन आपात स्थितियों में त्वरित संचार और चेतावनी के लिए उपयोग किए जाएंगे।
डिजास्टर मित्र योजना का विस्तार
पहले से ही रायपुर, कोरबा, राजनांदगांव और सुकमा को ‘डिजास्टर मित्र’ जिलों के रूप में चुना गया था, जहां 1,200 वालंटियरों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया गया है। अब इन वालंटियरों के लिए हर साल प्री-मानसून प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए जाएंगे, जिनमें स्किल रिफ्रेशर और आपदा प्रतिक्रिया रणनीतियों पर फोकस किया जाएगा।
क्या होता है ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’?
‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ ऐसे विशेष जिले होते हैं, जो आपातकालीन स्थितियों—जैसे हवाई हमलों की चेतावनी, ब्लैकआउट अभ्यास, नागरिकों की सुरक्षित निकासी और प्रशासनिक नियंत्रण—के लिए तैयार रहते हैं। इन जिलों में नागरिकों, छात्रों, वालंटियरों और सुरक्षाबलों को नियमित रूप से आपदा प्रबंधन और बचाव कार्यों का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य जनता को सजग बनाना और किसी भी संकट की स्थिति में सामूहिक, संगठित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना है।