“वक्फ बिल के विरोध में कांग्रेस की रणनीति, जेडीयू-टीडीपी से पूछा – ‘वे क्या करेंगे?'”
वक्फ बिल को लेकर सरकार की ओर से तेज हो रही हलचल के बीच विपक्षी दलों ने एनडीए के दो प्रमुख घटक दलों, जदयू और तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी), को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। कांग्रेस ने सोमवार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियां तो वक्फ बिल का विरोध करेंगी, लेकिन खुद को सेक्यूलर कहने वाली जदयू और टीडीपी इस पर क्या रुख अपनाएंगी?

सरकार के मंगलवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश करने की तैयारियों के बीच विपक्षी दलों ने भी इसके खिलाफ लामबंदी तेज कर दी है। आई.एन.डी.आई.ए. गठबंधन में शामिल सभी दल कुछ विवादित प्रावधानों का हवाला देते हुए इस बिल का विरोध करने की रणनीति बना रहे हैं।
विपक्ष ने एनडीए के प्रमुख घटक दल जदयू और तेलगूदेशम पार्टी (टीडीपी) को घेरने की कोशिश शुरू कर दी है। कांग्रेस ने सोमवार को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियां तो इस बिल का विरोध करेंगी, लेकिन खुद को सेक्युलर बताने वाली जदयू और टीडीपी इस पर क्या रुख अपनाएंगी?
कांग्रेस: यह विधेयक संविधान पर सीधा आक्रमण
कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस पहले ही पांच कारणों के आधार पर वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने का फैसला कर चुकी है। उनका कहना है कि यह विधेयक संविधान की बुनियादी संरचना के खिलाफ है और इस पर सभी विपक्षी दल एकमत हैं।
उन्होंने कहा, “न केवल कांग्रेस, बल्कि तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, वाम दल और डीएमके जैसी विपक्षी पार्टियां भी इसका विरोध कर रही हैं। हमारा सवाल जदयू और टीडीपी से है, जो खुद को सेक्युलर बताती हैं और संविधान में लिखित सर्वधर्म समभाव की बात करती हैं—क्या वे भी इस बिल का विरोध करेंगी?”
लोकतांत्रिक तरीके से करेंगे विरोध
जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस लोकतांत्रिक तरीके से इस बिल का विरोध करेगी क्योंकि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में 44 संशोधनों पर अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा नहीं की गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि सांसदों को 450 पन्नों की रिपोर्ट सिर्फ दो दिन में पढ़ने को दी गई, और संसदीय परंपराओं की अनदेखी कर रिपोर्ट को मंजूरी दी गई।
कांग्रेस के विरोध के पांच कारण
कांग्रेस ने बिल की पांच प्रमुख खामियों को उजागर किया है:
- वक्फ संस्थानों की स्थिति और अधिकार सीमित करने का प्रयास:
पहले से बने वक्फ प्रबंधन संस्थानों की संरचना और शक्तियां कम की जा रही हैं ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और संस्थाओं पर प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके। - वक्फ संपत्तियों की परिभाषा में अस्पष्टता:
भूमि को वक्फ उद्देश्यों के लिए दान करने की परिभाषा बदली जा रही है, जिससे जानबूझकर भ्रम की स्थिति बनाई जा रही है। - ‘वक्फ बाय यूजर’ की परंपरा खत्म करना:
अब तक चली आ रही ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है, जिससे वक्फ संपत्तियों के दावों पर असर पड़ेगा। - वक्फ प्रशासन को कमजोर करना:
मौजूदा कानून के प्रावधान हटाकर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं। - अधिकारियों को असीमित शक्तियां देना:
वक्फ संपत्तियों के विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में अधिकारियों को असीमित अधिकार दिए जा रहे हैं, जिससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खतरे में पड़ जाएगी।
कांग्रेस ने इन सभी बिंदुओं को उठाते हुए विधेयक के खिलाफ जोरदार विरोध की तैयारी कर ली है। अब निगाहें जदयू और टीडीपी पर टिकी हैं कि वे इस पर क्या रुख अपनाते हैं।