छत्तीसगढ़ में ई-व्हीकल पॉलिसी-2022 पर संकट, 45 हजार लोगों को सब्सिडी का इंतजार जारी
छत्तीसगढ़ में **इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022** को लागू हुए दो साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही देखने को मिल रही है। प्रदेश में **45 हजार वाहन मालिकों** ने इलेक्ट्रिक वाहन तो खरीद लिए, लेकिन अब तक उन्हें सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी नहीं मिल पाई है।

मुख्य बिंदु:
- इलेक्ट्रिक वाहन नीति के क्रियान्वयन में देरी से वाहन मालिकों की बढ़ी परेशानी।
- 45 हजार ई-व्हीकल धारक अब भी सरकारी सब्सिडी के इंतजार में।
- सब्सिडी में देरी से प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों पर पड़ सकता है असर।
छत्तीसगढ़ में ई-वाहन सब्सिडी पर संकट, 45 हजार वाहन मालिकों को इंतजार
रायपुर (CG E-Vehicle Subsidy): छत्तीसगढ़ में इलेक्ट्रिक वाहन नीति 2022 लागू हुए दो साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन इसके क्रियान्वयन में गंभीर लापरवाही सामने आई है। प्रदेश में 45 हजार वाहन मालिकों ने इलेक्ट्रिक वाहन खरीद लिए हैं, लेकिन अब तक उन्हें सरकार द्वारा घोषित सब्सिडी नहीं मिली है।
प्रदूषण नियंत्रण की योजना पर संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ में बढ़ते वायु प्रदूषण को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना बेहद जरूरी है। प्रदेश के प्रमुख शहरों में 28% वायु प्रदूषण केवल वाहनों से निकलने वाले धुएं के कारण होता है। सरकार ने वर्ष 2030 तक 40% इलेक्ट्रिक वाहनों को सड़कों पर उतारने का लक्ष्य रखा है, जिससे प्रदूषण में 10% की कमी लाने की योजना बनाई गई है। हालांकि, सब्सिडी में देरी इस योजना की प्रगति को धीमा कर रही है।
अब तक केवल 28 हजार को ही सब्सिडी का लाभ
राज्य सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए दो और चार पहिया ई-वाहनों पर उनके मूल्य का 10% या अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक की सब्सिडी देने की घोषणा की थी। लेकिन अब तक सिर्फ 28,248 वाहन मालिकों को ही यह लाभ मिला है, जबकि 45 हजार लोग अभी भी भुगतान के इंतजार में हैं।
वाहनों से 28% प्रदूषण, सरकार की योजना अधर में
विशेषज्ञों के मुताबिक, सड़क यातायात और वाहनों से निकलने वाला धुआं 45-53% तक वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। यदि PM 2.5 (हवा में मौजूद धूल, धुआं आदि के महीन कणों) के कारण होने वाले प्रदूषण को देखा जाए, तो इसमें अकेले वाहनों का योगदान 28% तक है।
राज्य सरकार धुआं मुक्त वाहनों को बढ़ावा देकर प्रदूषण नियंत्रण की योजना बना रही है, लेकिन सब्सिडी के भुगतान में देरी इस प्रयास को कमजोर कर रही है।