
मुख्य बिंदु:
- उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने की समीक्षा।
- मुख्यमंत्री ने 15 दिन का विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए।
- पानी की कमी दूर करने के लिए मोबाइल वैन यूनिट तैनात रहेंगी।
प्रदेश में हर व्यक्ति को मिलेगा पेयजल: 15 दिवसीय विशेष अभियान शुरू
रायपुर। गर्मी के दौरान हर व्यक्ति को पेयजल उपलब्ध कराने को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है। इसके लिए अगले पंद्रह दिनों के भीतर सभी हैंडपंप और सार्वजनिक नलों की मरम्मत सुनिश्चित की जाएगी। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस संबंध में एक उच्च स्तरीय बैठक कर विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को फील्ड विजिट करने और मौके पर ही समस्याओं के समाधान की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक नागरिक तक निर्बाध और सुरक्षित पेयजल पहुंचाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। इसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय और जनभागीदारी आवश्यक होगी। उन्होंने जल संकट से निपटने के लिए जल संरक्षण को लेकर ठोस और निर्णायक कदम उठाने पर जोर दिया, ताकि भविष्य में प्रदेश जल संकट की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहे।
बैठक में शामिल अधिकारी
राज्य मंत्रालय में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी एवं जल संसाधन विभाग की उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में उपमुख्यमंत्री अरुण साव, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव निहारिका बारिक, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के सचिव मोहम्मद कैसर अब्दुल हक, जल संसाधन विभाग के सचिव राजेश सुकुमार टोप्पो और कृषि, वन, जलवायु परिवर्तन एवं ऊर्जा विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
मोबाइल वैन यूनिट्स रहेंगी सक्रिय
मुख्यमंत्री साय ने निर्देश दिए कि प्रदेशभर में ग्रीष्म ऋतु के दौरान पेयजल की समुचित और सतत उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। इसके लिए सभी आवश्यक उपायों को प्राथमिकता के आधार पर लागू किया जाएगा।
अधिकारियों ने बताया कि पेयजल आपूर्ति के लिए विशेष मोबाइल वैन यूनिट्स की व्यवस्था की गई है, जो अगले चार महीनों तक फील्ड में सक्रिय रहकर रखरखाव और मरम्मत का कार्य करेंगी।
मुख्यमंत्री के प्रमुख निर्देश
- पेयजल समस्याओं के समाधान के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियां तैयार की जाएं।
- रिचार्ज पिट, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सौर ऊर्जा आधारित पंपों को तेजी से बढ़ावा दिया जाए।
- भूजल के अनियंत्रित दोहन पर सख्त निगरानी रखी जाए।
- कम जल-खपत वाली फसलों की खेती को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहित किया जाए।
- पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल की लगातार उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
अमृत सरोवर बनेंगे जल प्रबंधन के मॉडल
प्रदेश में जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए अमृत सरोवरों को जल प्रबंधन के मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे वे जल संग्रहण, वर्षा जल संरक्षण और सामुदायिक भागीदारी के सफल उदाहरण बन सकें। तालाबों और जलाशयों के आसपास हो रहे अतिक्रमण को प्राथमिकता से हटाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा आधारित पेयजल योजनाओं के संचालन और रखरखाव को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन योजनाओं से जल स्रोतों के अपव्यय को रोका जा सकता है और ऊर्जा की बचत भी सुनिश्चित होती है।
मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से ‘सेंसर आधारित स्वचालित प्रणाली’ लागू करने पर बल दिया, जिससे जल वितरण की निगरानी और नियंत्रण तकनीकी रूप से संभव हो सके और राज्य स्मार्ट जल प्रबंधन प्रणाली की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ा सके।
पेयजल सर्वोच्च प्राथमिकता
मुख्यमंत्री साय ने गर्मी के मौसम को देखते हुए प्रदेशभर में पेयजल की उपलब्धता को सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बताया। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि जल संकट की किसी भी संभावना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
उन्होंने ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, ऊर्जा, वन एवं कृषि विभाग को परस्पर तालमेल के साथ कार्य करने के निर्देश भी दिए, ताकि पूरे प्रदेश में निर्बाध और सुरक्षित पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।