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छत्तीसगढ़ में फीस अधिनियम महज दिखावा, स्कूलों में अभिभावकों से मनमानी वसूली की तैयारी

छत्तीसगढ़ उन गिने-चुने राज्यों में शामिल है, जहां 2020 में लागू फीस विनियमन अधिनियम के तहत शैक्षणिक संस्थाओं और निजी स्कूलों की शुल्क प्रणाली को नियंत्रित करने के नियम बनाए गए हैं।

रायपुर। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू होने जा रहा है, लेकिन स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण फीस विनियमन अधिनियम केवल कागजों में सिमटकर रह गया है। निजी स्कूलों की फीस संरचना पोर्टल पर अपलोड की जानी थी, लेकिन पोर्टल ही बंद पड़ा है।

अफसरों की उदासीनता से निजी स्कूलों को मनमानी करने का पूरा मौका मिल गया है। वे कितनी फीस लेंगे, इसकी कोई जानकारी नहीं दे रहे और हर साल की तरह मनमर्जी से शुल्क बढ़ाने की तैयारी में हैं।

फीस विनियमन अधिनियम का पालन नहीं

छत्तीसगढ़ में 2020 में लागू फीस विनियमन अधिनियम के तहत प्रत्येक जिले में फीस रेगुलेशन समिति गठित होनी चाहिए। नियम के अनुसार, निजी स्कूल अधिकतम 8% तक ही फीस बढ़ा सकते हैं। इससे अधिक वृद्धि के लिए उन्हें अपनी आय-व्यय का हिसाब पेश कर अनुमति लेनी होती है।

हालांकि, प्रदेश में इस अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है। न तो फीस संरचना पारदर्शी है, न ही अनुमति लेने की प्रक्रिया सक्रिय है। शासन-प्रशासन ने व्यवस्था तो बनाई, लेकिन उसे लागू करना भूल गए हैं।

रायपुर में कमेटी का अता-पता नहीं

हर जिले में फीस विनियामक समिति गठित होनी चाहिए, जिसमें कलेक्टर अध्यक्ष, जिला शिक्षा अधिकारी सचिव, एक शिक्षाविद, एक कानूनविद, और एक अभिभावक शामिल होते हैं।

लेकिन रायपुर जिले में इस समिति की कोई जानकारी तक उपलब्ध नहीं है। अफसर भी स्वीकार कर रहे हैं कि समिति की अब तक कोई बैठक नहीं हुई है।

शिकायतों का समाधान नहीं

हर साल कई अभिभावक शिक्षा विभाग में फीस वृद्धि को लेकर शिकायतें दर्ज कराते हैं, लेकिन इनका कोई समाधान नहीं होता। पालक संघ के अनुसार, प्रदेश के बड़े जिलों में हर साल 10 से 20 शिकायतें आती हैं, मगर प्रशासन इन पर कोई कार्रवाई नहीं करता।

रायपुर जिले में पिछले वर्षों की शिकायतों का भी कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, और अधिकारी इस पर स्पष्ट जवाब देने में असमर्थ हैं।

जिम्मेदारों की चुप्पी

फीस अधिनियम को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) डॉ. विजय खंडेलवाल भी चुप्पी साधे हुए हैं। जिले में समिति गठित है या नहीं, इस पर वे कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहे।

नियम के अनुसार केवल 8% फीस वृद्धि संभव

वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. जवाहर सुरीसेट्टी का कहना है कि प्रदेश में फीस अधिनियम एक्ट लागू है। नियमों के अनुसार, निजी स्कूल अधिकतम 8% फीस बढ़ा सकते हैं। यदि कोई स्कूल इससे अधिक फीस बढ़ाता है, तो उसे डीईओ को सूचित करना आवश्यक है। इसके बाद समिति जांच कर निर्णय लेती है।

हालांकि, जब प्रशासन ही निष्क्रिय है, तो निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने वाला कोई नहीं बचा।

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