
पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने सोमवार को एक बड़ा राजनीतिक ऐलान करते हुए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से अपनी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) का नाता तोड़ने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अब NDA का हिस्सा नहीं है। इस फैसले के पीछे उन्होंने वजह बताई कि भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन ने उनके भतीजे और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान का समर्थन करने का निर्णय लिया है।
पटना में बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती के अवसर पर आयोजित रालोजपा के कार्यक्रम में बोलते हुए पारस ने कहा कि वह 2014 से NDA के साथ थे, लेकिन अब उनकी पार्टी का गठबंधन से कोई संबंध नहीं रहेगा।
पारस ने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान को “दूसरा आंबेडकर” बताते हुए उन्हें भारत रत्न देने की मांग की। उल्लेखनीय है कि पारस ने 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी से अलग होकर रालोजपा की स्थापना की थी, जबकि चिराग पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का गठन किया। 2024 के लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी को NDA ने 5 सीटें दी थीं, जबकि पारस की पार्टी को कोई सीट नहीं मिली, जिससे नाराज होकर उन्होंने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बाद में, चिराग पासवान की पार्टी ने सभी 5 सीटों पर जीत दर्ज की।
इसके साथ ही पारस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य के 38 में से 22 जिलों का दौरा किया है और महसूस किया है कि बिहार अब बदलाव चाहता है। उन्होंने नीतीश सरकार पर शिक्षा व्यवस्था की बदहाली, उद्योगों की कमी और भ्रष्टाचार के कारण योजनाओं के प्रभावित होने जैसे गंभीर आरोप लगाए। पारस ने यह भी कहा कि अब वह बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपनी पार्टी को मजबूत करने की दिशा में काम करेंगे।