
रायपुर:
एक समय छत्तीसगढ़ सुरक्षा बलों के लिए सबसे बड़ा खतरा रहे माओवादी नेता बसवराजू अब इतिहास बन चुके हैं। 21 मई को हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने उन्हें ढेर कर दिया। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने बताया कि प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के जनरल सेक्रेटरी नंबला केशव राव उर्फ बसवराजू का नारायणपुर जिले में सरकारी निगरानी में अंतिम संस्कार किया गया। पुलिस ने बताया कि बसवराजू के शव का कोई कानूनी वारिस सामने नहीं आया।
21 मई को अबूझमाड़ के कुडमेल-कलहजा-जटलूर के घने जंगल में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) के साथ हुई मुठभेड़ में बसवराजू समेत 27 माओवादी मारे गए थे। माओवादियों ने इस घटना को ‘गुंडेकोट नरसंहार’ करार दिया है।
बसवराजू पर छत्तीसगढ़ सरकार ने ₹1 करोड़ का इनाम घोषित किया था, जबकि अन्य राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों ने भी इनाम रखा था। मुठभेड़ के बाद बरामद 27 शवों में से 20 शवों पर परिवार वालों ने दावा किया, जिनके सत्यापन के बाद शव सौंप दिए गए। वहीं, बसवराजू के शव पर किसी ने दावा नहीं किया।
पुलिस ने बताया कि आवश्यक कानूनी आदेश मिलने के बाद एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की निगरानी में ही बसवराजू का अंतिम संस्कार किया गया। साथ ही, कोसी उर्फ हुंगी नामक एक अन्य मृत कैडर के परिवार ने भी स्थानीय अधिकारियों से नारायणपुर में अंतिम संस्कार करने का अनुरोध किया था, क्योंकि वे स्वास्थ्य संबंधी खतरों से बचना चाहते थे।
पुलिस के अनुसार, बसवराजू प्रतिबंधित माओवादी समूह के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के प्रमुख थे और 250 से अधिक आपराधिक मामलों में शामिल रहे। उनकी गिरफ्तारी के दौरान एक AK-47 राइफल बरामद की गई, जिसे बसवराजू ने कथित तौर पर 2010 में दंतेवाड़ा के ताड़मेटला घात में सुरक्षा बलों से छीन लिया था।