नक्सलियों का कभी सुरक्षित ठिकाना, अब श्मशान बना! छत्तीसगढ़ में लगातार तबाही, डबल इंजन सरकार पर डबल हमले!
अंदर की कहानी: छत्तीसगढ़ में सरकार बदलाव के बाद माओवादियों के खिलाफ अभियान हुआ तेज। केंद्र और राज्य की साझा कोशिशों से कई माओवादी मारे गए, गिरफ्तार हुए और आत्मसमर्पण किया। अब सरकार का पूरा फोकस नक्सलवाद खत्म करने पर है, जबकि माओवादी युद्धविराम और बातचीत की मांग कर रहे हैं।

रायपुर: छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। दिसंबर 2023 में राज्य सरकार बदलने के बाद, केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर कड़ा अभियान चलाया, जिससे माओवादियों को भारी नुकसान पहुंचा। सुरक्षा बलों ने लगातार छापेमारी कर माओवादियों के सुरक्षित ठिकानों को तबाह किया।
गृह मंत्री अमित शाह ने 2019 में ही नक्सलवाद खत्म करने का मिशन शुरू किया था। उनका लक्ष्य था कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए। उन्होंने नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को भेजा, जहां पहले प्रशासन और पुलिस की पहुंच भी नहीं थी, ताकि वहां के लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ मिल सके।
छत्तीसगढ़ में बीजेपी की डबल इंजन सरकार ने इस अभियान को और मजबूती दी। बिहार और झारखंड में मिली सफलता के बाद अब छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके में भी माओवादी ठिकानों पर कार्रवाई की गई, जो माओवादियों का मुख्य केंद्र था।
केंद्र सरकार की एजेंसियां जैसे CRPF, IB, BSF और राज्य की DRG, STF टीमों ने मिलकर काम किया। 1 दिसंबर 2023 से 21 मई 2025 तक छत्तीसगढ़ में 401 माओवादियों को मार गिराया गया, 1,429 गिरफ्तार किए गए और 1,355 ने आत्मसमर्पण किया।
हालांकि माओवादी अब युद्ध विराम और बातचीत की अपील कर रहे हैं, लेकिन सरकार किसी भी तरह की ढील देने को तैयार नहीं है। उनका मकसद मार्च 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करना है और इसके लिए ‘अंतिम प्रहार’ करने की तैयारी है।
माओवादियों को एक झटके में खत्म नहीं किया गया, बल्कि लगातार खुफिया जानकारी के आधार पर एक-एक ठिकाना तबाह किया गया। साथ ही नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास कार्य भी तेज किए जा रहे हैं, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी सुविधाएं लोगों तक पहुंच रही हैं। इससे जनता का सरकार पर भरोसा बढ़ा है और कई लोग माओवादियों का साथ छोड़ रहे हैं।