बिहार राजनीति: महागठबंधन में दरार… NDA ने बनाई खास रणनीति, BJP-JDU दिखे एकजुट
राजद और कांग्रेस के बीच बढ़ती सियासी खींचतान के बीच राजग गठबंधन अपनी एकजुटता दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा। मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा-जदयू के बीच टकराव की अटकलों के बावजूद दोनों दल सार्वजनिक रूप से साथ नजर आ रहे हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के दो प्रमुख दल, राजद और कांग्रेस के बीच सियासी खींचतान बढ़ती नजर आ रही है। दोनों के बीच दूरी के संकेतों के बीच, एनडीए (राजग) गठबंधन लगातार अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहा है।
महागठबंधन में दरार, कांग्रेस ने बनाई अलग रणनीति
सोमवार को कांग्रेस ने राजद की इफ्तार पार्टी से दूरी बना ली, जबकि बुधवार को बिहार में एनडीए के बड़े नेता रात्रिभोज पर मुलाकात कर रहे हैं। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के शामिल होने की भी संभावना है। महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा, इसका संकेत काफी समय से मिल रहा था।
कांग्रेस के नए प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का लालू यादव और तेजस्वी यादव से मुलाकात न करना और आरजेडी की सहमति के बिना कन्हैया कुमार के नेतृत्व में ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ पदयात्रा आयोजित करना इसी ओर इशारा करता है। माना जा रहा है कि कांग्रेस सीट बंटवारे में अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए दबाव की रणनीति अपना रही है। लेकिन रमजान के महीने में राजद की इफ्तार से कांग्रेस की दूरी, दूरगामी राजनीतिक रणनीति का संकेत दे रही है। तीन दशक पुराने सहयोगियों के बीच यह खटास महागठबंधन के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।
NDA की मजबूती, BJP-JDU में बढ़ता तालमेल
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और जदयू के बीच संभावित टकराव की अटकलों के बावजूद, दोनों दल सार्वजनिक रूप से पूरी तरह एकजुट नजर आ रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद अब तक एनडीए की मुख्यमंत्री परिषद की तीन बैठकें हो चुकी हैं। लोजपा (रामविलास) के चिराग पासवान से लेकर हम पार्टी के जीतन राम मांझी तक, सभी घटक दलों में आपसी तालमेल देखा जा रहा है।
बुधवार को भाजपा सांसद संजय जायसवाल के घर बिहार के एनडीए नेताओं की रात्रिभोज बैठक इसी की एक मिसाल है। इससे पहले, जनवरी में जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा के दही-चूड़ा भोज में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लंबी उपस्थिति भी चर्चा में रही थी।
बदलता समीकरण: 2020 से 2025 तक
2020 में बिहार चुनाव से पहले एनडीए बिखरा नजर आ रहा था। उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान गठबंधन में नहीं थे, और चिराग ने तो नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। लेकिन इस बार, दोनों नेता एनडीए में शामिल हो चुके हैं। इसके विपरीत, 2020 में एकजुट दिखने वाले कांग्रेस और राजद के बीच अब अंदरूनी खींचतान दिख रही है।
यह बदले हुए समीकरण आने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार की राजनीति को पूरी तरह से नया मोड़ दे सकते हैं।