भिलाई का पार्षद बेल लेने थाने पहुंचा, पुलिस ने किया गिरफ्तार और भेजा जेल
पार्षद जालंधर सिंह बेल बांड जमा करने वैशाली नगर थाने पहुंचे, जहां प्रभारी थानेदार अमित अंदानी ने एक पुराने मामले का हवाला देकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस कार्रवाई पर हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है।

भाजपा पार्षद को अवैधानिक गिरफ्तारी के बाद हाई कोर्ट से राहत, 24 घंटे में रिहाई का आदेश
बिलासपुर। वैशाली नगर थाना क्षेत्र में एक पुराने मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बावजूद बेल लेने पहुंचे भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने इस गिरफ्तारी को अवैधानिक मानते हुए 24 घंटे के भीतर उनकी रिहाई का आदेश दिया।
हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि पार्षद की गिरफ्तारी नियमों के खिलाफ की गई थी और मामले की अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तारीख तय की। मामला 21 मार्च 2023 का है, जब वैशाली नगर थाने में कश्मा यादव की शिकायत पर एन. धनराजू और अरविंद भाई के खिलाफ धारा 420 और 34 के तहत एफआईआर दर्ज हुई थी। बाद में भाजपा पार्षद जालंधर सिंह को भी इस मामले में आरोपित बनाया गया।
जांच में देरी पर हाई कोर्ट की सख्ती
इस मामले में एन. धनराजू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जांच में देरी पर नाराजगी जताते हुए 29 जनवरी 2025 को डीजीपी और दुर्ग एसपी से स्पष्टीकरण मांगा था। कोर्ट ने दुर्ग एसपी के प्रस्तुत शपथपत्र को असंतोषजनक मानते हुए खारिज कर दिया और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी। 21 फरवरी 2025 को डीजीपी ने बताया कि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने छह सप्ताह में जांच पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया था।
अग्रिम जमानत के बावजूद गिरफ्तारी
भाजपा पार्षद जालंधर सिंह को हाई कोर्ट से अग्रिम जमानत मिल चुकी थी। इसके बावजूद जब वह 3 मार्च को वैशाली नगर थाने में बेल बांड जमा करने पहुंचे, तो प्रभारी थानेदार अमित अंदानी ने एक पुराने मामले का हवाला देकर उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
अवैधानिक गिरफ्तारी पर हाई कोर्ट की फटकार
हाई कोर्ट में एडवोकेट बी.पी. सिंह ने दलील दी कि जिस मामले में गिरफ्तारी हुई, वह 2017 का है और आठ साल बाद उसे फिर से सामने लाया गया। उन्होंने यह भी बताया कि डीजीपी पहले ही इस मामले की जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारी को दंडित कर चुके हैं।
एडवोकेट सिंह ने अर्नब गोस्वामी बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले का हवाला देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को अवैधानिक रूप से जेल भेजा गया है, जिससे उनकी रिहाई का पूरा अधिकार बनता है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद 12 मार्च को आदेश जारी कर पार्षद जालंधर सिंह को 24 घंटे के भीतर रिहा करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि इसकी प्रति डीजीपी और जिला जज दुर्ग को भेजी जाए, ताकि संबंधित मजिस्ट्रेट शीघ्र आदेश का पालन सुनिश्चित कर सकें।