सीजी: मतांतरण और डी-लिस्टिंग पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करें राजनीतिक दल
आरएसएस के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने मंगलवार को कहा कि मतांतरण के कारण कुछ क्षेत्रों में जनजातीय समाज अपनी अस्मिता खो रहा है। इसे रोकने के लिए हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए। संघ समाज के बीच जाकर जागरूकता फैलाने में सक्रिय भूमिका निभाएगा।

मुख्य बिंदु:
- आरएसएस के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने मतांतरण का मुद्दा उठाया।
- विदेशी फंड के दुरुपयोग के खिलाफ सभी को आवाज उठानी चाहिए।
- जनजातियों की पारंपरिक पूजा-पद्धति को संरक्षित रखने की आवश्यकता पर जोर।
आरएसएस ने मतांतरण रोकने और डी-लिस्टिंग पर सख्त कानून की मांग की
रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने मतांतरण पर रोक लगाने और मतांतरितों को मिलने वाले लाभ समाप्त करने के लिए कड़े कानून की आवश्यकता पर जोर दिया है। आरएसएस के मध्य क्षेत्र संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने मंगलवार को कहा कि मतांतरण के कारण कुछ क्षेत्रों में जनजातीय समाज अपनी अस्मिता खो रहा है, जिसे बचाने के लिए सभी को एकजुट होकर प्रयास करना होगा।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों की पारंपरिक पूजा-पद्धति संरक्षित रहनी चाहिए और मतांतरण का व्यापक विरोध किया जाना चाहिए। इस दिशा में संघ समाज के बीच जाकर जनजागरण अभियान चलाएगा। साथ ही, उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे मतांतरण और डी-लिस्टिंग के मुद्दे पर दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य करें और इस पर प्रभावी कानून बनाएं।
यह बातें उन्होंने छत्तीसगढ़ प्रांत संघचालक टोपलाल वर्मा के साथ राजधानी के संघ कार्यालय जागृति मंडल, पंडरी में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहीं। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि कुछ विदेशी संस्थाएं अब भी मतांतरण के लिए फंड का दुरुपयोग कर रही हैं, जिसका हम सभी को विरोध करना चाहिए।
एफसीआरए संशोधन और संघ की आगामी योजनाएं
डॉ. सक्सेना ने बताया कि केंद्र सरकार ने विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) में संशोधन किया है, जिसके तहत विदेशों से फंड प्राप्त करने वाली कंपनियों और संस्थाओं को अपने खर्च का हिसाब देना होता है। इसके अलावा, उन्होंने संघ की आगामी कार्ययोजना पर भी जानकारी दी, जिसमें शताब्दी वर्ष मनाने और विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की रूपरेखा शामिल है।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ प्रस्ताव
आरएसएस की प्रतिनिधि सभा ने बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचारों पर चिंता जताते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है। इस प्रस्ताव के तहत भविष्य में आवश्यक प्रयासों की योजना तैयार की गई है।
‘हर गांव, हर बस्ती, हर घर’ पहुंचेगा संघ
आरएसएस अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने पर शताब्दी वर्ष का भव्य आयोजन करने जा रहा है। इसके तहत संघ छत्तीसगढ़ के हर गांव, हर बस्ती और हर घर तक अपनी पहुंच बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। इस संबंध में संघ ने व्यापक जनसंपर्क अभियान की योजना बनाई है।
डॉ. सक्सेना और टोपलाल वर्मा ने बताया कि इस वर्ष विजयदशमी पर संघ का शताब्दी वर्ष शुरू होगा, जिसे पूरे देशभर में विशेष कार्यक्रमों के साथ मनाया जाएगा। इस दौरान संघ का कार्य基层 स्तर तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया है। हर मंडल और बस्ती में हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिनमें एकता और सांस्कृतिक सद्भाव पर जोर दिया जाएगा।
संघ का विस्तार और भावी योजनाएं
संघ के कार्यों का तेजी से विस्तार हो रहा है। छत्तीसगढ़ में 265 नए स्थानों पर संघ का कार्य शुरू हुआ है और 263 नई शाखाएं स्थापित की गई हैं। पूरे देश के साथ ही राज्य में भी संघ की शाखाओं की संख्या बढ़ रही है।
आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 21 से 23 मार्च 2025 तक बेंगलुरु के चन्नेनहल्लि स्थित जन सेवा विद्या केंद्र में आयोजित की गई थी। इस बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया और विभिन्न प्रांतों के कार्यकर्ताओं ने अपनी गतिविधियों की रिपोर्ट साझा की। इस बैठक में संघ कार्य के विस्तार और भविष्य की रणनीतियों पर भी विचार किया गया।
शताब्दी वर्ष के प्रमुख कार्यक्रम
- विजयदशमी 2025 से विजयदशमी 2026 तक संघ शताब्दी वर्ष के रूप में मनाया जाएगा।
- नवंबर 2025-जनवरी 2026 तक ‘हर गांव, हर बस्ती, घर-घर’ अभियान के तहत तीन सप्ताह का जनसंपर्क कार्यक्रम आयोजित होगा।
- सभी मंडलों और बस्तियों में हिंदू सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे, जिनमें सामाजिक एकता और सद्भाव पर बल दिया जाएगा।
- खंड व नगर स्तर पर सामाजिक सद्भाव बैठकें आयोजित होंगी, जिनमें समरसता और मिल-जुलकर रहने का संदेश दिया जाएगा।
- जिला स्तर पर प्रमुख नागरिक संवाद आयोजित किए जाएंगे, जिनमें राष्ट्रीय विषयों पर गहन विमर्श होगा।
- 15-30 वर्ष के युवाओं के लिए राष्ट्र निर्माण और सेवा गतिविधियों पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
महान विभूतियों को श्रद्धांजलि
महारानी अबक्का की 500वीं जयंती के अवसर पर आरएसएस सरकार्यवाह ने उन्हें भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी, कुशल प्रशासक और निडर योद्धा बताया। लोकमाता अहिल्या देवी होल्कर की 300वीं जयंती के अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में व्याख्यान, निबंध, चित्रकला और रंगोली प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं। इस अवसर पर एक साहित्य और एक कॉमिक्स भी प्रकाशित की गई।
सेवा प्रकल्पों का विस्तार
छत्तीसगढ़ में संघ द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों की संख्या लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में 99 सेवा प्रकल्प, 7 कन्या छात्रावास, 2 आश्रय गृह और 59 संस्कार केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। इसके अलावा, सेवा भारती द्वारा 11 किशोरी विकास केंद्र, कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, सिलाई केंद्र और पॉलिक्लिनिक भी संचालित किए जा रहे हैं।
आगामी समय में धार्मिक आयोजनों को पॉलीथिन मुक्त बनाने की भी योजना बनाई गई है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सके।