गिरता भू-जल स्तर: रायपुर के केवल 30% घरों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित
रायपुर नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, शहर में 93 हजार संपत्तियां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के दायरे में आती हैं। हैरानी की बात यह है कि भवन निर्माण के दौरान नक्शा पास कराने पर इसके लिए डिपॉजिट मनी जमा कराई जाती है, लेकिन इसके बावजूद अधिकांश लोग न तो सिस्टम लगवाते हैं और न ही जमा की गई राशि वापस लेने आते हैं।

मुख्य बिंदु:
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए ₹15,000 डिपॉजिट लेने का प्रावधान।
- रायपुर में 93,000 संपत्तियां ऐसी हैं, जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य है।
- भू-जल स्तर गिरकर 800 से 1,000 फीट की गहराई तक पहुंच चुका है।
राजधानी रायपुर में गिरता भू-जल स्तर, रेन वाटर हार्वेस्टिंग अब भी उपेक्षित
रायपुर। राजधानी में भू-जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, लेकिन रेन वाटर हार्वेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) को लेकर अभी भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। सरकारी आदेशों के बावजूद, शहर के महज 30% भवनों और कॉलोनियों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित किया गया है, जबकि इसे सभी 150 वर्ग मीटर या उससे अधिक के भवनों में अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए।
नगर निगम के आंकड़ों के अनुसार, 93,000 संपत्तियां ऐसी हैं, जो इस दायरे में आती हैं, लेकिन उनमें से केवल 30% में ही यह सिस्टम मौजूद है। हैरानी की बात यह है कि भवन निर्माण का नक्शा पास कराने के समय रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए अधिकतम ₹15,000 की डिपॉजिट राशि जमा कराई जाती है, लेकिन इसके बावजूद लोग सिस्टम नहीं लगवा रहे और न ही अपनी जमा राशि वापस ले रहे हैं।
भू-जल स्तर हजार फीट तक पहुंचा
नगर निगम क्षेत्र में जल स्तर तेजी से गिर रहा है। कुछ साल पहले तक जहां 300-400 फीट की गहराई पर पानी उपलब्ध था, वहीं अब यह 800-1000 फीट तक पहुंच चुका है। उदाहरण के तौर पर, देवपुरी क्षेत्र में 300 फीट की गहराई पर पानी मिलता था, लेकिन अब यह 800 फीट नीचे चला गया है। इसी तरह, कचना और भनपुरी क्षेत्रों में जल स्तर पहले 400 फीट था, जो अब 700-1000 फीट तक नीचे चला गया है।
हर साल 50 फीट से ज्यादा गिर रहा जल स्तर
विशेषज्ञों के अनुसार, राजधानी में हर साल 50 फीट से ज्यादा भू-जल स्तर गिर रहा है। इसकी मुख्य वजहों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कमी, बढ़ता शहरीकरण और कांक्रीटीकरण के कारण जमीन में जल का कम मात्रा में पहुंचना शामिल है। वहीं, शहर के दलदल सिवनी, खमतराई, उरला, भनपुरी, न्यू राजेंद्र नगर और फाफाडीह जैसे क्षेत्रों में जल स्तर लगातार नीचे जा रहा है।
कुछ क्षेत्रों में जल स्तर अब भी ठीक
हालांकि, खारून नदी के आसपास के इलाके जैसे चांगोरभाटा, सुंदर नगर, लाखे नगर, संतोषी नगर, विनायक विहार और सरोना में भू-जल स्तर अभी भी संतोषजनक स्थिति में है। इसके विपरीत, रिंग रोड से लगी कॉलोनियों में जहां पहले 400 फीट की गहराई पर पानी था, अब वह 800 फीट तक पहुंच चुका है।
अब तक केवल 850 हार्वेस्टिंग सिस्टम ही बन पाए
पिछले साल नगर निगम ने शहर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया था, लेकिन अब तक केवल 850 सिस्टम ही स्थापित हो पाए हैं। तत्कालीन निगम आयुक्त ने 5,000 सिस्टम लगाने का लक्ष्य रखा था, जिसके लिए बिल्डरों के सहयोग से कई प्रयास किए गए और नोटिस भी जारी किए गए, लेकिन अपेक्षित परिणाम नहीं मिल सके।
भू-जल स्तर को स्थिर बनाए रखने के लिए अब रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को अनिवार्य रूप से लागू करने की सख्त जरूरत है।