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म्यूल खातों पर कड़ी कार्रवाई: 30 घंटे में 101 गिरफ्तार, एक करोड़ रुपये होल्ड

पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपियों में से कुछ पहले भी हत्या, बलवा, जुआ और एनडीपीएस एक्ट के मामलों में संलिप्त रहे हैं। ये आरोपी म्यूल बैंक अकाउंट, फर्जी शेयर ट्रेडिंग ऐप, क्रिप्टो निवेश, गूगल रिव्यू टास्क और ऑनलाइन ठगी जैसे अपराधों में सक्रिय थे।

  • 100 ठिकानों पर छापेमारी, पांच थानों में दर्ज हुए केस।
  • कार्रवाई में 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी रहे शामिल।
  • 930 मामलों की जांच में आरोपियों की हुई पहचान।

    रायपुर। साइबर रेंज थाना पुलिस ने म्यूल अकाउंट के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए 101 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। 930 संदिग्ध खातों की जांच के बाद इनमें जमा एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि को होल्ड किया गया है। यह कार्रवाई 30 घंटे तक चली, जिसमें 200 से अधिक पुलिसकर्मी शामिल रहे।

    ऑनलाइन ठगी से जुड़े थे आरोपित
    पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार आरोपित म्यूल बैंक अकाउंट, फर्जी शेयर ट्रेडिंग एप, क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट, गूगल रिव्यू टास्क और ऑनलाइन ठगी में संलिप्त थे। इनमें से कुछ आरोपित पहले भी हत्या, बलवा, जुआ और एनडीपीएस एक्ट के मामलों में संलिप्त रह चुके हैं। इससे पहले भी पुलिस ने म्यूल खातों से धोखाधड़ी के मामलों में 98 आरोपितों को गिरफ्तार किया था।

    100 ठिकानों पर छापेमारी
    रेंज साइबर थाना और एंटी क्राइम यूनिट ने 930 मामलों की जांच कर आरोपितों की पहचान की, जिसके बाद रायपुर, भिलाई और दुर्ग सहित 100 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई। पुलिस का कहना है कि आगे भी ऐसे खातों पर कार्रवाई जारी रखी जाएगी।

    बैंकों में म्यूल अकाउंट के खिलाफ कार्रवाई

    • थाना आजाद चौक: इंडियन ओवरसीज बैंक के 21 खाते।
    • थाना गंज: कर्नाटका बैंक के 41 खाते।
    • थाना टिकरापारा: रत्नाकर बैंक के 54 खाते।
    • थाना कोतवाली: कोटक महिंद्रा बैंक के 41 खाते।
    • थाना सिविल लाइन: बैंक ऑफ महाराष्ट्र के 128 खाते।

    म्यूल अकाउंट से कमीशन का खेल
    जांच में सामने आया कि आरोपितों ने अपने बैंक खाते ठगों को बेच दिए थे। इसके बदले में उन्हें हर महीने 5,000 रुपये से लेकर 1 लाख रुपये तक कमीशन मिलता था। कुछ मामलों में खाताधारकों ने ठगी की रकम का 10 से 20% हिस्सा बतौर कमीशन लिया था।

    क्या हैं म्यूल अकाउंट?
    म्यूल अकाउंट ऐसे बैंक खाते होते हैं, जिनका इस्तेमाल साइबर ठग ऑनलाइन ठगी की रकम को ठिकाने लगाने के लिए करते हैं। खुद के नाम पर खाता खुलवाने से वे केवाईसी जांच में फंस सकते हैं, इसलिए भोले-भाले लोगों को लालच देकर उनके नाम से खाते खुलवाते हैं। इसके जरिए ठगी की रकम मंगवाकर उसमें से खाताधारक को एक छोटा हिस्सा कमीशन के रूप में दे दिया जाता है।

    पुलिस लगातार लोगों को आगाह कर रही है कि वे ऐसे लालच में न फंसें और किसी अनजान व्यक्ति को अपना बैंक अकाउंट इस्तेमाल न करने दें।

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