
कांग्रेस पार्टी छह दशक बाद गुजरात में होने जा रहे अहमदाबाद अधिवेशन में मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य और वैचारिक चुनौतियों पर गहराई से विचार करेगी। यह दो दिवसीय अधिवेशन न केवल संगठन की वर्तमान स्थिति का आकलन करेगा, बल्कि जमीनी स्तर से लेकर एआईसीसी तक संगठनात्मक ढांचे को मज़बूत और जुझारू बनाने पर भी केंद्रित होगा। पार्टी का फोकस होगा भाजपा और संघ परिवार से जुड़े मुद्दों पर अपने नेताओं की वैचारिक स्पष्टता सुनिश्चित करने और संगठन को बूथ स्तर से सशक्त करने पर।
जिला अध्यक्षों से मतदाता सूची की निगरानी, गड़बड़ियों को रोकने और चुनावी तैयारी की रणनीतियों पर चर्चा की जाएगी। गांधी, नेहरू और सरदार पटेल की विचारधारा को पार्टी के मार्गदर्शक मूल्यों के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा और यही कांग्रेस का वैचारिक आधार होगा, जिसका स्पष्ट संदेश जमीनी नेताओं को दिया जाएगा।
कांग्रेस का यह अधिवेशन ‘न्याय पथ पर संकल्प, समर्पण और संघर्ष’ के मूल संदेश के साथ पार्टी की नीति और दिशा को नए सिरे से तय करेगा। वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की सामाजिक न्याय और सहभागिता आधारित राजनीति को अब कांग्रेस संगठन की प्राथमिकता बनाया जाएगा।
पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी, दोनों बार-बार यह दोहरा रहे हैं कि अब लड़ाई केवल एक राजनीतिक दल से नहीं, बल्कि सत्ता-प्रभावित संस्थाओं और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की भी है। ऐसे में कांग्रेस की कोशिश होगी कि 3000 से अधिक प्रतिनिधियों को वैचारिक रूप से प्रतिबद्ध और संगठित किया जाए।
अधिवेशन का पहला दिन (8 अप्रैल) सरदार पटेल स्मारक में विस्तारित कार्यसमिति की बैठक के साथ शुरू होगा और दूसरे दिन (9 अप्रैल) एआईसीसी अधिवेशन साबरमती नदी किनारे आयोजित किया जाएगा। पार्टी नेतृत्व ने हाल ही में संगठन में कई बदलाव किए हैं, लेकिन अब फोकस है ब्लॉक और बूथ स्तर पर मजबूत नेटवर्क खड़ा करने पर।
यह अधिवेशन मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में कांग्रेस का छठा अधिवेशन होगा, जिसकी तैयारी लंबे समय से संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की निगरानी में चल रही है। बीते दिनों खरगे और राहुल गांधी ने सभी जिलाध्यक्षों से अलग-अलग बैचों में चर्चा कर संगठन की मजबूती के लिए कार्ययोजना साझा की है। कांग्रेस के संचार प्रमुख जयराम रमेश के मुताबिक, यह अधिवेशन संगठन, राष्ट्रीय मुद्दों और राजनीतिक रणनीति पर खुली और व्यापक चर्चा का मंच बनेगा।