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वक्फ बिल: यूं ही नहीं नीतीश कुमार ने दिया समर्थन, अमित शाह ने मानी ‘सुशासन बाबू’ की ये अहम शर्तें

वक्फ बिल पेश होने से पहले भाजपा-जेडीयू के बीच हुई बातचीत, नीतीश कुमार की आशंकाएं दूर होने के बाद मिला समर्थन – जेडीयू सांसद संजय झा का खुलासा

वक्फ संशोधन बिल (Waqf Bill) को गुरुवार देर रात राज्यसभा में पारित कर दिया गया। लगभग 12 घंटे की लंबी बहस के बाद हुए मतदान में बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े, जबकि लोकसभा में पहले ही 288 वोटों के साथ यह पारित हो चुका था। एनडीए के सभी घटक दलों ने इस बिल को समर्थन दिया।

हालांकि, कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन ने इस बिल को असंवैधानिक बताते हुए इसका विरोध किया और आरोप लगाया कि यह मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को प्रभावित करेगा। उन्होंने जेडीयू जैसे सेक्युलर पार्टी से उम्मीद जताई थी कि वह इस बिल का समर्थन नहीं करेगी, क्योंकि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार की धर्मनिरपेक्ष छवि रही है।

लेकिन बिल का समर्थन करने से पहले जेडीयू ने भाजपा नेताओं से बातचीत की थी। यह जानकारी जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद संजय झा ने दी। उन्होंने सदन में बताया कि नीतीश कुमार को इस बिल को लेकर कुछ आशंकाएं थीं, जिन्हें भाजपा ने स्पष्ट किया और दूर किया।


मुस्लिम समाज से मिले थे नीतीश कुमार

संजय झा ने बताया कि मुस्लिम समुदाय के कई प्रतिनिधियों और धार्मिक संस्थानों के लोगों ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी और वक्फ संपत्तियों को लेकर अपनी चिंता जाहिर की थी। इस बैठक में संजय झा भी शामिल थे। इसके बाद जेडीयू ने इन मुद्दों को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के समक्ष रखा। केंद्र सरकार ने इन आशंकाओं पर स्पष्ट जवाब दिए और भरोसा दिलाया कि बिल किसी भी धार्मिक स्थल, ईदगाह या कब्रिस्तान के खिलाफ नहीं है।

गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात

बिल को लोकसभा में पेश किए जाने से पहले गृह मंत्री अमित शाह ने जेडीयू नेताओं ललन सिंह और संजय झा से मुलाकात की थी। इस दौरान सभी आशंकाओं को स्पष्ट किया गया। संजय झा ने बताया कि अमित शाह ने भरोसा दिलाया कि यह कानून मस्जिद, ईदगाह या कब्रिस्तान की संपत्तियों पर कोई असर नहीं डालेगा।

उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने पिछले 19 वर्षों में हजारों कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवाई है और इस बात की पुष्टि करता है कि फैलाई जा रही अफवाहें बेबुनियाद हैं। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार एकमात्र राज्य है जिसने जातीय जनगणना करवाई, जिसमें यह सामने आया कि 73 प्रतिशत मुसलमान पसमांदा वर्ग से आते हैं। हमारे पास इसके ठोस वैज्ञानिक आंकड़े और हालिया सर्वेक्षण मौजूद हैं।

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