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क्या ऐसे बनेगा देश का भविष्य? शिक्षकों की कमी पर प्रशासन ने स्कूल बंद करने का उठाया कदम

भुवनेश्वर के एक स्कूल में 500 से ज्यादा छात्र पढ़ते हैं, लेकिन बिना किसी आधिकारिक सूचना के प्रशासन ने कक्षा 6 और 7 को बंद कर दिया, जिनमें 130 से ज्यादा छात्र नामांकित थे।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति एक बार फिर सामने आई है। भुवनेश्वर रेलवे कॉलोनी स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी के चलते स्कूल प्रशासन ने कक्षा 6वीं और 7वीं को बंद करने का निर्णय लिया है। इस फैसले ने छात्रों और अभिभावकों को नाराज कर दिया है। स्कूल में पहले से ही संसाधनों की कमी है और कक्षाओं की कमी के कारण बच्चे आंगन में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह हालात किसी दूरस्थ गांव के नहीं, बल्कि राजधानी के एक स्कूल के हैं, जो शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करते हैं।

छठी-सातवीं के 130 बच्चों का भविष्य अधर में
स्कूल में कुल 500 से अधिक बच्चे पढ़ते हैं, जिनमें से लगभग 130 छात्र-छात्राएं कक्षा 6 और 7 में हैं। स्कूल प्रशासन ने बिना किसी आधिकारिक सूचना के इन दोनों कक्षाओं को बंद करने का निर्णय ले लिया। अभिभावकों का आरोप है कि यह कदम बच्चों के भविष्य के साथ अन्याय है और उन्हें इसकी जानकारी पहले नहीं दी गई।

रेलवे की जमीन पर बना है स्कूल, फिर भी क्यों बंद?
गौरतलब है कि स्कूल की जमीन रेलवे द्वारा प्रदान की गई थी। स्कूल की इमारत भी तैयार है और बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं का खर्च भी रेलवे उठा रहा है। इसके बावजूद स्कूल को बंद करने का कारण समझ से परे है, जिससे सरकार की नीयत और नीतियों पर सवाल उठने लगे हैं।

छात्रों का विरोध, “हम यहीं पढ़ेंगे”
धरना दे रही एक छात्रा, अनुष्का शर्मा ने कहा, “सरकार ने कहा है कि अब हमारी कक्षाएं इस स्कूल में नहीं चलेंगी, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम यहीं बैठकर पढ़ाई करेंगे, हमें अपना स्कूल छोड़ना मंजूर नहीं।”

अभिभावकों की अपील: बच्चों की पढ़ाई ना रोके सरकार
एक छात्र के पिता, कृष्ण चंद्र पति ने कहा, “यह स्कूल कक्षा 1 से 10वीं तक के लिए है, लेकिन अब 6वीं और 7वीं कक्षा को शिक्षकों की कमी के कारण बंद कर दिया गया है। आस-पास कोई दूसरा सरकारी स्कूल नहीं है, जो है वो 3 से 5 किलोमीटर दूर है। छोटे बच्चों के लिए इतना दूर जाना मुश्किल है। कई अभिभावकों की मजबूरी है कि अगर स्कूल बंद हुआ तो उन्हें बच्चों को पढ़ाने की बजाय मजदूरी करवानी पड़ेगी। हम सरकार से हाथ जोड़कर अपील करते हैं कि स्कूल को दोबारा शुरू किया जाए और बच्चों की पढ़ाई जारी रखी जाए।”

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