CG News: नान घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, पूर्व IAS टुटेजा के घर पर छापेमारी और FIR दर्ज
नान घोटाले से जुड़े आरोपियों को जमानत दिलाने और साक्ष्य छिपाने की साजिश को लेकर EOW ने 4 नवंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की थी। इसमें अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा को नामजद किया गया था, हालांकि बाद में आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा को जमानत मिल गई।

नान घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, टुटेजा के घर छापेमारी और साक्ष्य जब्त
छत्तीसगढ़ राज्य के बहुचर्चित नान (छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई की है। वाट्सएप चैटिंग से जुड़ी साजिश की जांच के लिए सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है, जो पहले से दर्ज एसीबी रिपोर्ट के आधार पर की गई। शुक्रवार को जांच के सिलसिले में सीबीआई ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के सिविल लाइन स्थित निवास पर दबिश दी और इस दौरान कई इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य एवं अहम दस्तावेज जब्त किए गए।
एफआईआर में लगाए गए आरोप आपराधिक षड्यंत्र, रिश्वतखोरी, साक्ष्य से छेड़छाड़, झूठे साक्ष्य गढ़ने और जांच को प्रभावित करने की कोशिशों से संबंधित हैं। इससे पहले 4 नवंबर 2024 को ईओडब्ल्यू ने आरोपियों को जमानत दिलाने और सबूत छिपाने की साजिश को लेकर एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को नामजद किया गया था। हालांकि, शुक्ला और वर्मा को बाद में जमानत मिल गई थी।
ईडी ने सौंपे अहम दस्तावेज
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को कई दस्तावेजी साक्ष्य सौंपे हैं। ईडी ने जानकारी दी कि अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी, और आयकर विभाग द्वारा जुटाए गए डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर ईडी की कार्रवाई में भी बाधा डाली गई।
सीबीआई की रफ्तार होगी तेज
सूत्रों की मानें तो सीबीआई की अगली कार्रवाई अब और व्यापक हो सकती है। अनिल टुटेजा के घर छापेमारी के बाद दो आईपीएस अधिकारियों समेत कुछ प्रभावशाली लोगों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी है। इसमें एसीबी की तत्कालीन प्रमुख और उनके करीबी अधिकारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं।
जल्द खुलेंगे नए राज
राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंपी थी। अब जांच के दौरान कई अहम खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है।
गवाहों को प्रभावित करने की साजिश
4 नवंबर को दर्ज ईओडब्ल्यू की एफआईआर के अनुसार, अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की। ईडी ने 2019 में इस प्रकरण में केस दर्ज किया था।
वाट्सएप चैटिंग से सामने आई साजिश की परतें—कोडवर्ड में हुई बातचीत से यह साबित हुआ कि लोकसेवा में हस्तक्षेप और साक्ष्य में हेरफेर कर हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की जमीन तैयार की गई थी। दस्तावेजों में फेरबदल कर मामले को प्रभावित करने की सुनियोजित कोशिश की गई।