
रायपुर: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने आज एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि आदिवासी समाज ही सबसे बड़े हिंदू हैं। वे धर्मरक्षा महायज्ञ और सनातन संस्कृति सम्मेलन में शामिल हुए, जो महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और आर्य समाज के 150वें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में पं. दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया था। इस दौरान उन्होंने आदिवासी समाज के धार्मिक विश्वासों पर बात की और कहा कि आदिवासी समाज की पूजा पद्धतियाँ हिंदू धर्म से जुड़ी हुई हैं।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि आदिवासी समाज सरना पूजा में विश्वास करता है, जिसमें वे प्रकृति और देवी-देवताओं के प्रतीक स्वरूप पत्थर स्थापित कर पूजा करते हैं। इस पूजा में बैगा पुजारी की भूमिका होती है, और गौरी-गौरा की पूजा की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि गौरी-गौरा और शिव-पार्वती एक ही हैं, और आदिवासी समाज प्राचीन काल से इनकी आराधना करता आ रहा है। इस कारण उन्होंने आदिवासी समाज को ‘सबसे बड़े हिंदू’ करार दिया।
सीएम साय ने यह भी कहा कि आज भी कुछ संगठन सक्रिय हैं जो देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं और आदिवासी समुदाय को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं, यह दावा करते हुए कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं। उन्होंने इस दावे को पूरी तरह से गलत ठहराते हुए जोर देकर कहा कि आदिवासी समाज हिंदू धर्म का अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा है।