India-Pakistan Ceasefire: कांग्रेस ने सीजफायर में कश्मीर के उल्लेख पर उठाए सवाल, सरकार से मांगा जवाब
कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई रोकने और अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार करने को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है। राहुल गांधी ने पहलगाम आतंकी हमले सहित कई गंभीर मुद्दों पर चर्चा के लिए विशेष संसद सत्र बुलाने की विपक्ष की सर्वसम्मत मांग को पत्र के माध्यम से दोहराया है।

कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की जा रही सैन्य कार्रवाई को अचानक रोके जाने और अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार करने को लेकर केंद्र सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा है। पार्टी ने इस ऑपरेशन को आतंकवाद के खिलाफ देश की मजबूत कार्रवाई बताते हुए समर्थन जताया, लेकिन साथ ही कश्मीर मुद्दे के अंतरराष्ट्रीयकरण और भारत-पाक को समान स्तर पर रखने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है।
संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग:
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और अमेरिका द्वारा पहले घोषित सीजफायर जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा के लिए तत्काल संसद का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है। राहुल गांधी ने अपने पत्र में कहा कि इन मुद्दों पर चर्चा सिर्फ आवश्यक ही नहीं, बल्कि यह देश को एकजुट होकर आने वाली चुनौतियों से निपटने का अवसर भी देगा।
खरगे और पायलट ने उठाए सवाल:
मल्लिकार्जुन खरगे ने भी प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में राहुल गांधी द्वारा 28 अप्रैल को भेजे गए विशेष सत्र की मांग वाले पत्र की याद दिलाई। वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अमेरिकी मध्यस्थता और सीजफायर की घोषणा पर सवाल उठाते हुए कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है, किसी तीसरे पक्ष की भूमिका अस्वीकार्य है। उन्होंने पूछा कि क्या भारत सरकार अमेरिकी मध्यस्थता को स्वीकार करती है? साथ ही उन्होंने दो टूक कहा कि ऑपरेशन सिंदूर आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई है और इसमें कश्मीर को जोड़ना पूरी तरह गलत है।
सरकार से कांग्रेस के तीखे सवाल:
कांग्रेस ने सरकार से पूछा है कि संघर्ष विराम किन शर्तों पर हुआ और इसकी गारंटी क्या है कि पाकिस्तान फिर आतंकवादी हमले नहीं करेगा? सचिन पायलट ने यह भी कहा कि संघर्ष विराम की विश्वसनीयता पर उसी दिन सवाल उठ गए जब पाकिस्तान ने दोबारा भारतीय चौकियों पर गोलीबारी की। उन्होंने याद दिलाया कि संसद ने 1994 में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा बताया था, जिसे वापस लेना भारत का उद्देश्य है।
विपक्ष ने दिया था सरकार को समर्थन:
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि विपक्षी दलों ने राजनीतिक मतभेद भुलाकर सरकार को पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ हर प्रकार की कार्रवाई के लिए पूर्ण समर्थन दिया था। ऐसे में सीजफायर की इतनी जल्द घोषणा पर देश को स्पष्टीकरण मिलना चाहिए। सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल किया कि क्या शिमला समझौता अब निष्प्रभावी हो गया है? उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा है और किसी को भी इसमें हस्तक्षेप की इजाजत नहीं दी जा सकती।
बीजेपी का पलटवार:
इस बीच बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कांग्रेस और विपक्ष पर तीखा हमला करते हुए कहा कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर विपक्ष केवल सरकार को घेरना और सेना को बदनाम करना चाहता है। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि विपक्ष पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ बोलने का मौका देना चाहता है। उन्होंने कहा, “राजनीति करो, लेकिन देश को मत खोने दो।”