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रामचरित मानस में हनुमानजी के वर्णन वाला प्रसंग सुंदर कांड क्यों कहलाता है

रामायण में कुल 7 कांड हैं. पहला बालकांड, अयोध्याकांड, अरण्यकांड, क‍िष्‍किन्‍धाकाण्‍ड, 5 सुंदरकांड, 6 लंकाकाण्‍ड और 7 उत्तरकाण्‍ड. इसमें से सुंदरकांड भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है, जिसमें कुल 60 दोहे हैं. इसका पाठ शनिवार और मंगलवार को करना अच्छा माना जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है रामायण के इस खंड को सुंदरकांड क्यों कहते हैं. अगर नहीं, तो आज के इस लेख में हम इसी के बारे में आपको बताएंगे..

क्यों सुंदरकांड है सुंदर

दरअसल, सुंदरकांड में ‘सुंदर शब्द’ का प्रयोग कुल 8 बार किया गया है. जिस जगह पर हनुमान जी ने पैर रखकर लंका में छलांग लगाई उसका नाम सुंदर है. इसके अलावा हनुमान जी पेड़ पर बैठकर माता-सीता के आगे जब मुद्रिका गिराते हैं उसमें भी सुंदर लिखा हुआ होता है. वहीं, रावण के हरण करने के बाद यही वह पहला मौका था, जब माता सीता को ‘सुंदर’ संदेश म‍िला था. इसल‍िए भी इस अध्‍याय को सुंदरकाण्‍ड कहा जाता है.

सुंदरकांड को सुंदरकांड इसलिए भी कहते हैं कि क्योंकि सुंदर नाम के ही पर्वत पर अशोक वाटिका बनी थी और यहीं पर हनुमान जी की माता सीता से भेंट हुई थी. इन्हीं कारणों से इस अध्याय को सुंदरकांड कहते हैं. 

सुंदरकांड पढ़ने के फायदे

इसका पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है. इसका पाठ करने से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं, और सकारात्मकता का संचार होता है. साथ ही यह पाठ करने से हनुमान जी आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण भी करते हैं. इससे आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ती है. यह पाठ व्यक्ति को निडर बनाता है.  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. )

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