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Masan Holi: चिता की राख से क्यों खेली जाती है यह होली? भगवान शिव से जुड़ा है इसका रहस्य

**Masan Holi Varanasi 2025: आज काशी में धूमधाम से मसान होली मनाई जाएगी, जहां चिता की राख से खेली जाती है होली। इस दिन पूरी काशी शिवमय हो जाती है और हर ओर गूंजते हैं हर-हर महादेव के जयकारे।**

बनारस की मसान होली: जब चिता की राख से खेली जाती है अनोखी होली

देशभर में जहां होली रंग, गुलाल और फूलों से खेली जाती है, वहीं काशी में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है, जिसे मसान होली कहा जाता है। यह खास होली चिता की राख से खेली जाती है और रंगवाली होली से कुछ दिन पहले मनाई जाती है। मसान होली के दिन काशी के हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर साधु-संत और शिव भक्त विशेष पूजा के बाद ‘हर-हर महादेव’ के जयकारे लगाते हुए चिता की राख से होली खेलते हैं। यह दृश्य अत्यंत ही अद्भुत और रहस्यमयी होता है।

मसान होली मृत्यु का उत्सव मानी जाती है। इसका गहरा आध्यात्मिक संदेश है—जब व्यक्ति मृत्यु के भय को पीछे छोड़ देता है, तो वह जीवन का आनंद मुक्त होकर ले सकता है। इस साल मसान होली 11 मार्च 2025 को मनाई जाएगी, जो रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद आती है।

मसान होली से जुड़ी पौराणिक कथा
मान्यता के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव माता पार्वती को विवाह के बाद पहली बार काशी लाए थे। इस खुशी में देवताओं ने दीप आरती कर फूल, गुलाल और अबीर उड़ाकर उनका स्वागत किया था। लेकिन शिवजी के गण—भूत, प्रेत, यक्ष, गंधर्व और अघोरी—होली के इस रंग में शामिल नहीं हो पाए थे।

शिवजी ने अपने विशेष भक्तों की इस उदासी को दूर करने के लिए अगले दिन श्मशान में होली खेलने का निश्चय किया। तभी से यह परंपरा चली आ रही है, जिसमें भोलेनाथ के भक्त चिता की राख को रंग मानकर उत्सव मनाते हैं। यह अनोखी होली बताती है कि जीवन और मृत्यु एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, और भय से मुक्त होकर जीना ही असली आनंद है।

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