मूडीज ने कहा: अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था होगी अप्रभावित, जानिए वजह
मूडीज का अनुमान: बिजली, परिवहन और डिजिटल क्षेत्रों में बढ़ती मांग से भारत में अगले 5-7 सालों में होगा बड़ा निवेश, लेकिन वैश्विक मंदी का असर पड़ सकता है

मूडीज ने कहा – अमेरिकी टैरिफ से भारत की अर्थव्यवस्था को नहीं होगा असर, मजबूत बनी रहेगी ग्रोथ रफ्तार
मूडीज रेटिंग्स ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा और देश की इकोनॉमी मजबूती के साथ आगे बढ़ती रहेगी। एजेंसी ने कहा कि भारत की बड़ी घरेलू बाजार संरचना, निर्यात पर कम निर्भरता, बढ़ती घरेलू खपत, मैन्युफैक्चरिंग क्षमताओं का विस्तार और इंफ्रास्ट्रक्चर पर सरकार के बढ़ते खर्च जैसे कारक वैश्विक व्यापारिक जोखिमों को काफी हद तक कम करने में मदद कर रहे हैं। इससे महंगाई पर नियंत्रण बनेगा और बैंकिंग सेक्टर में लिक्विडिटी का भी मजबूत सपोर्ट मिलेगा।
पाकिस्तान को ज्यादा झेलनी होगी मार
मूडीज की उभरते बाजारों पर आधारित रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की नीतिगत अस्थिरता और वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारत के आंतरिक विकास इंजन अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखने में सहायक हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल के तनावों से पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि पर भारत की तुलना में कहीं ज्यादा नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
क्यों मजबूत है भारत की इकोनॉमी?
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर पर किया जा रहा भारी निवेश देश की GDP ग्रोथ को सहारा दे रहा है, जबकि व्यक्तिगत आयकर में कटौती से उपभोग को बढ़ावा मिल रहा है। भारत की वस्तुओं के व्यापार पर सीमित निर्भरता और मजबूत सर्विस सेक्टर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम करने में सहायक हैं। साथ ही, अगर भारत पर टैरिफ दरें अन्य उभरते बाजारों की तुलना में कम रहती हैं, तो ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को अमेरिकी मांग से और अधिक लाभ मिल सकता है। वैश्विक अस्थिरता के बीच भी भारत की बैंकिंग व्यवस्था और ऋण स्थितियों की स्थिरता उसकी आर्थिक मजबूती को दर्शाती है।
भारत बनेगा निवेश का हॉटस्पॉट
हालांकि मूडीज ने आगाह किया कि वैश्विक आर्थिक और ऋण संकट की स्थिति अगर और बिगड़ती है, तो उसका असर भारत पर भी पड़ सकता है। इसके बावजूद एजेंसी को उम्मीद है कि अगले पांच से सात वर्षों में भारत में बिजली, परिवहन और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर की बढ़ती मांग के चलते बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश आएगा। रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों पर अमेरिकी टैरिफ का सीमित असर ही होगा क्योंकि ये सेक्टर मुख्य रूप से घरेलू मांग पर केंद्रित हैं और इन्हें अनुकूल रेगुलेटरी और कॉन्ट्रैक्चुअल समर्थन प्राप्त है।